Edited By ,Updated: 18 Apr, 2015 11:01 AM
मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां दुर्गा का एक रूप ललिता के नाम से जाना जाता है। कालिकापुराण के अनुसार देवी की दो भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं।
मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां दुर्गा का एक रूप ललिता के नाम से जाना जाता है। कालिकापुराण के अनुसार देवी की दो भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं। इनकी अराधना करने से जीवन में हमेशा सुख शांति एवं समृद्धि बनी रहती है। जब भी मां ललिता का पूजन करें उनके साथ साथ स्कंदमाता और भगवान शिव की भी शास्त्रानुसार पूजा करें। ललिता देवी की पूजा से मन चाही इच्छाओं की प्राप्त होती है।
अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं धृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम्।
अणिमादिभि रावृतां मयूखै-रहमित्येव विभावये भवानीम्॥
मैं महादेवी ललिता का ध्यान करता हूं। उनका वर्ण लाल है, उनकी आंखें करुणा से भाई हुई है, उनके हाथ मे इक्षु धनुष कमल, बाण व चक्र है। उनके मुख से सूर्य की अणिमा प्रकाशित हो रही है। हे देवी! आप मेरी हर प्रकार से सहयता करें।
यह मंत्र ध्यान ब्रह्माण्ड पुराणे उत्तरखण्ड से है तथा भगवान हयग्रीव और अगस्त्यमुनि के बीच का संवाद है इसे "श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम्" कहते हैं। देवी ललिता के इस मंत्र से जीवन कि सारी समस्याएं दूर हो जाती है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com