Edited By ,Updated: 26 Apr, 2015 08:25 AM
ज्योतिषशास्त्र के मुहूर्त प्रणाली के अनुसार रविवार दिनांक 26.04.15 का दिन अत्यधिक शुभ व महत्वपुर्ण है। आज के दिन अशुभता मिटाने के लिए तीन सुंदर महयोगों का निर्माण हो रहा है। आज रविवार दिनांक 26.04.15 को पहला सर्वाधिक शक्तिशाली योग निश्चित कार्य में...
ज्योतिषशास्त्र के मुहूर्त प्रणाली के अनुसार रविवार दिनांक 26.04.15 का दिन अत्यधिक शुभ व महत्वपुर्ण है। आज के दिन अशुभता मिटाने के लिए तीन सुंदर महयोगों का निर्माण हो रहा है। आज रविवार दिनांक 26.04.15 को पहला सर्वाधिक शक्तिशाली योग निश्चित कार्य में सिद्धि देने वाला सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। दूसरा हर मंगल कार्यों में सफलता देने वाला श्रीवत्स योग बन रहा है। इस योग को महामुहूर्त भी कहा जाता है। इस योग में किया गया कार्य शुभ फल प्रदान करता है। तीसरा सभी दोषों का शमन करने वाला रवि योग भी बन रहा है।
भारतीय राजधानी नई दिल्ली के रेखांश और अक्षांश के अनुसार यह तीनों महायोग सम्मलित रूप से प्रातः 05 बजकर 49 मिनट सूर्योदय से प्रारंभ होकर शाम 06 बजकर 49 मिनट तक विधमान रहेंगे।
रविवार दिनांक 26.04.15 को सर्वार्थसिद्धि योग शाम 03 बजकर 52 मिनट तक विधमान रहेगा। रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र से पिता- पुत्र अर्थात सूर्य व शनि बनने वाला श्रीवत्स योग शाम 06 बजकर 40 मिनट तक विधमान रहेगा तथा रवि-पुष्य पूरा दिन रहेगा। परंतु इस दिन कि महत्वता इस बात से है की यह तीनों योग आज एक साथ रहेंगे। दिनांक 26.04.15 को रविवार का दिन, अष्टमी तिथि और पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है। जिससे बनने वाले सर्वार्थसिद्धि योग, श्रीवत्स योग और रवियोग एक साथ आने से शुभ कार्यों के संपूर्ण परिणाम मिलेंगे।
आज की गई खरीदारी सर्वजन हेतु शुभफलदाई रहेगी। आज की गई सोने, चांदी, पीतल, तांबा व कांसे की खरीदारी से घर में लक्ष्मी का वास होगा तथा इन तीनों महयोगों के मिलन से सूर्य, शनि, राहू व केतु से जनित दोषों का शमन संभव है।
सूर्य जनित दोषों के शमन के लिए
1. सर्वार्थसिद्धि शुभ योग में सूर्यदेव को प्रसन्न करें। इस उपाय के अंतर्गत तांबे के लोटे मे जल, रोली, केसर लाल मिर्च की दाने मिलाकर सूर्य को अर्ध दें।
2. बीज्युक्त सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें -
ह्रीं आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नौ: सूर्य: प्रचोदयात् ह्रीं।
शनि जनित दोषों के शमन के लिए
1. श्रीवत्स योग के अंतर्गत शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए- लोहे के पात्र में जल, काले तिल व काजल मिलाकर सूर्यदेव को अर्ध दें।
2. बीजयुक्त शनि गायत्री मंत्र का जाप करें-
प्रीं भगभवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो सौरी: प्रचोदयात प्रीं।
राहू जनित दोषों के शमन के लिए
1. रवियोग के अंतर्गत रहूदेव को प्रसन्न करने के लिए- स्टील के लोटे में जल, नील व सुरमा मिलाकर सूर्यदेव को अर्ध दें।
2. बीजयुक्त राहू गायत्री मंत्र का जाप करें-
भ्रीं शिरोरुपाय विधमहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नो राहू:प्रचोदयात भ्रीं।
केतु जनित दोषों के शमन के लिए
1. रवियोग के अंतर्गत केतु देव को प्रसन्न करने के लिए - कांच के ग्लास में जल, इत्र व सफ़ेद तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्ध दें।
2. बीजयुक्त केतु गायत्री मंत्र का जाप करें-
स्त्रीं पद्म्पुत्राय विधमहे अम्रितेसाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात स्त्रीं।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com