प्रचंड भूकंप के बाद भी पशुपतिनाथ मंदिर सुरक्षित कैसे ? विज्ञान या शिवज्ञान

Edited By ,Updated: 27 Apr, 2015 07:02 AM

article

यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल में सूचीबद्ध नेपाल की राजधानी काठमांडू मे बागमती नदी के तट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर सनातनधर्म के आठ सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है । पौराणिक काल मे काठमांडू का नाम कांतिपुर था । मान्यतानुसार मंदिर का ढांचा...

यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल में सूचीबद्ध नेपाल की राजधानी काठमांडू मे बागमती नदी के तट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर सनातनधर्म के आठ सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है । पौराणिक काल मे काठमांडू का नाम कांतिपुर था । मान्यतानुसार मंदिर का ढांचा प्रकृतिक आपदाओं से कई बार नष्ट हुआ है । परंतु इसका गर्भगृह पौराणिक काल से अबतक संपूर्ण रूप से सुरक्षित है । लोग इसे पहली शताब्दी का मानते हैं तो इतिहास इसे तीसरी शताब्दी का मानता हैं ।

शनिवार दिनांक 25.04.15 को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर आए 7.9 तीव्रता के भीषण भूकंप से पूरे नेपाल मे तबाही मच गई है । जहां एक ओर हजारों की तादात मे लोगों की मृत्यु हुई है वहीं दूसरी ओर विज्ञानिक तकनीक से बनी असंख्य इमारतें भी धराशाई हुई । परंतु पशुपतिनाथ मंदिर का गर्भग्रह कल भी विधमान था व आज भी विधमान है । आइए जानते हैं इसके पीछे विज्ञान है या शिवज्ञान।हिमवतखंड किंवदंती अनुसार एक समय मे भगवान शंकर चिंकारे का रूप धारण कर काशी त्यागकर बागमती नदी के किनारे मृगस्थली वन चले गए थे ।

देवताओं ने उन्हें खोजकर पुनः काशी लाने का प्रयास किया परंतु शिव द्वारा नदी के दूसरे छोर पर छलांग लगाने के कारण उनका सींग चार टुकडों में टूट गया जिससे भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए । ज्योतिर्लिंग केदारनाथ की किंवदंती अनुसार पाण्डवों के स्वर्गप्रयाण के दौरान भगवान शंकर ने पांडवों को भैंसे का रूपधर दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए परंतु भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली थी । जिस स्थान पर धरती के बाहर उनकी पूंछ रह गई वह स्थान ज्योतिर्लिंग केदारनाथ कहलाया, और जहां धरती के बाहर उनका मुख प्रकट हुआ वह स्थान पशुपतिनाथ कहलाया । इस कथा की पुष्टि स्कंदपुराण भी करता है । 

वास्तु विज्ञान अनुसार पशुपतिनाथ गर्भगृह में एक मीटर ऊंचा चारमुखी लिंग विग्रह स्थित है । प्रत्येक मुखाकृति के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला व बाएं हाथ में कमंडल है । प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है। पहले दक्षिण मुख को अघोर कहते है । दूसरे पूर्व मुख को तत्पुरुष कहते हैं । तीसरे उत्तर मुख को अर्धनारीश्वर या वामदेव कहते है । चौथे पश्चिमी मुख को साध्योजटा कहते है तथा ऊपरी भाग के निराकार मुख को ईशान कहते है ।

मान्यतानुसार पशुपतिनाथ चतुर्मुखी शिवलिंग चार धामों और चार वेदों का प्रतीक माना जाता है । मंदिर एक मीटर ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। पशुपतिनाथ शिवलिंग के सामने चार दरवाज़े हैं । जो चारों दिशाओं को संबोधित करते हैं । यहां महिष रूपधारी भगवान शिव का शिरोभाग है, जिसका पिछला हिस्सा केदारनाथ में है । इस मंदिर का निर्माण वास्तु आधारित ज्ञान पर पगोडा़ शैली के अनुसार हुआ है । पगोडा़ शैली मूलरूप से उत्तरपूर्वी भारत के क्षेत्र से उदय हुई थी जिसे चाईना व पूर्वी विश्व ने आपनाया और नाम दिया फेंगशुई । 

24 जून 2013, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई तथा इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे गए थे । सर्वाधिक तबाही रूद्रप्रयाग ज़िले में स्थित शिव की नगरी केदारनाथ में हुई थी । परंतु इतनी भारी प्रकृतिक आपदा के बाद भी केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था और आज भी अटल है । शनिवार दिनांक 25.04.15 को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर आए 7.9 तीव्रता के भीषण भूकंप के उपरांत भी पशुपतिनाथ गर्भग्रह पूरी तरह सुरक्षित है ।

स्कंदपुराण अनुसार यह दोनों मंदिर एकदूसरे से मुख और पुच्छ से जुड़े हुए हैं तथा इन दोनों मंदिरों मे परमेश्वर शिव द्वारा रचित वास्तु ज्ञान का उपयोग किया गया है । मूलतः सभी शिवालयों के निर्माण मे शिवलिंग जितना भूस्थल से ऊपर होते हैं उतना ही भूस्थल के नीचे समाहित होते हैं । यहां विज्ञान का एक सिद्धांत उपयोग मे लिया जाता है जिसे “सेंटर ऑफ ग्रेविटी” “गुरत्वाकर्षण केंद्र” कहते है । विज्ञान ने इस सिद्धांत को वास्तु से ही लिया है ।

वैदिक पद्धति अनुसार शिवालयों का निर्माण सैदेव वहीं किया जाता हैं जहां पृथ्वी की चुम्बकीय तरंगे घनी होती हैं। शिवालयों में शिवलिंग ऐसी जगह पर स्थापित किया जाता है जहां चुम्बकीय तरंगों का नाभिकीय क्षेत्र विद्धमान हो। तथा स्थापना के समय गुंबद का केंद्र शिवलिंग के केंद्र के सीधे आनुपातिक तौर पर स्थापित किया जाता है। यह शिव का ही ज्ञान है जिसे कुछ लोग विज्ञान और भूतत्त्व विज्ञान के नाम से जानते हैं । 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!