भगवान और उनकी सभी शक्तियों की स्रोत का कृपा प्रात्र बनाएगा यह मंत्र

Edited By ,Updated: 27 Apr, 2015 08:07 AM

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भारतीय वैदिक सनातन धर्म ग्रंथों में सती शिरोमणि भगवती श्री सीता जी का स्थान सर्वोत्तम है। जब तक इस सृष्टि का अस्तित्व रहेगा तब तक मां भगवती सीता जी का पावन चरित्र भारतीय समाज का मार्गदर्शन करता रहेगा।

भारतीय वैदिक सनातन धर्म ग्रंथों में सती शिरोमणि भगवती श्री सीता जी का स्थान सर्वोत्तम है। जब तक इस सृष्टि का अस्तित्व रहेगा तब तक मां भगवती सीता जी का पावन चरित्र भारतीय समाज का मार्गदर्शन करता रहेगा।

पद्मपुराण में भगवती जानकी को साक्षात् लक्ष्मी कहा गया है।

‘‘सीता लक्ष्मीर्भवान विष्णुर्देवा वै वानरास्तथा।’’

 सीता जी साक्षात् लक्ष्मी हैं, आप (प्रभु श्रीराम) साक्षात् विष्णु हैं तथा ये वानर देवस्वरूप हैं। माता सीता जी का ध्यान सब कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला तथा मनो इच्छित भाव पूर्ण करने वाला है। जानकी जी की शरण भगवान श्री राम का सान्निध्य प्रदान करने वाली है तथा उनको प्रसन्न करने से प्रभु श्री राम स्वत: प्रसन्न हो जाते हैं। 

श्री रामाय नम: तथा ‘श्री सीतायै नम:’ 

मूल मंत्र हैं जिनके पाठ से भगवती सीता व भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त होती है। मां सीता जी जगत माता, समस्त शक्तियों की स्रोत, जगत की आनंददायिनी, सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार की अधिष्ठात्री देवी हैं। 

भगवती सीता जी की महिमा अपार है। हनुमान जी की पूंछ में आग लगने के समय महासती सीता जी की कृपा से ही हनुमान जी के लिए अग्रिदेव सुखद और शीतल हो गए। वेद, पुराणों इत्यादि धर्मशास्त्रों में इनकी अनंत महिमा का वर्णन है। सर्वमंगलदायिनी, त्रिभुवन की जननी, भक्ति तथा मुक्ति प्रदान करने वाली भगवती सीता जी का पावन चरित्र समस्त नारी समाज के लिए वंदनीय एवं अनुकरणीय है।

 

                 

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