Edited By ,Updated: 18 May, 2015 12:53 PM
पितर दोष हो तो देवता-ग्रह भी काम नहीं करते। लकवा, कैंसर और सिरदर्द जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। गृह-क्लेश, विवाह-संतान, मकान, व्यापार-नौकरी में तनाव उत्पन्न होकर काम अंतिम क्षण में बिगड़ जाता है।
पितर दोष हो तो देवता-ग्रह भी काम नहीं करते। लकवा, कैंसर और सिरदर्द जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। गृह-क्लेश, विवाह-संतान, मकान, व्यापार-नौकरी में तनाव उत्पन्न होकर काम अंतिम क्षण में बिगड़ जाता है। पितर दोष मनुष्य के वर्तमान जीवन की सफलता-असफलता में अपना अदृश्य प्रभाव निश्चित रूप से डालते हैं। जिस व्यक्ति पर पितरों का ऋण हो, वह जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता तथा उसका जीवन ग्रहण लग कर प्रकाशहीन हो जाता है। कलंक, घोर संकट, असाध्य बीमारी एवं कभी-कभी अकाल मृत्यु का कारण भी बन जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या को निम्र प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं :
* पत्नी के कारण गृह-क्लेश हो तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष एवं पति-पत्नी वशीकरण सिद्ध यंत्र धारण करें।
* चंद्रमा से पीड़ित जातक दूध, चावल, घी, अनाथालय या वृद्धाश्रम में दान करें तथा अपने माता-पिता को अपने हाथों से सायं काल दूध पिलाएं।
* संतान अथवा केतु से पीड़ित जातक 101 तंदूर की मीठी रोटी बनाकर गाय, कौओं व कुत्तों को खिलाएं तथा किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में रखें।
* व्यापार में घाटा हो रहा हो या कर्ज बढ़ गया हो तो अभिमंत्रित एकाक्षी श्रीफल को सिंदूर लगाकर सूर्योदय से पूर्व चौराहे पर रखवा दें अथवा वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू-कश्मीर), मां काली का साक्षात् स्वरूप भैवाल माता (राजस्थान), काली मंदिर, कालका (दिल्ली) में चढ़ा दें।
—पंडित अशोक प्रेमी बंसरीवाला