Edited By ,Updated: 23 May, 2015 03:14 PM
अगर किसी इंसान के अंदर कोई भावना ही नहीं है तो आप उसे इंसान नहीं कह सकते। आपकी भावनाएं आपके मन में चल रहे विचारों से अलग नहीं होतीं। जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप महसूस करते हैं। इस संसार में दृष्टि का बहुत महत्व है।
अगर किसी इंसान के अंदर कोई भावना ही नहीं है तो आप उसे इंसान नहीं कह सकते। आपकी भावनाएं आपके मन में चल रहे विचारों से अलग नहीं होतीं। जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप महसूस करते हैं। इस संसार में दृष्टि का बहुत महत्व है। कहा भी है जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। जब जीव का अंत:करण पवित्र होता है, उसे सभी अपने स्वजन लगते हैं लेकिन मलिन हृदय वाले व्यक्ति को स्वजन भी दुर्जन के समान लगते हैं।
मनुष्य के समक्ष दो विकल्प सदैव उपस्थित रहते हैं स्वार्थ अथवा परमार्थ। स्वार्थ में व्यक्तिगत लाभ तथा परमार्थ में लोकहित समाहित रहता है। स्वार्थ में लिप्त जीव अज्ञान से मिथ्या सिद्धांतों को ग्रहण करके, दम्भ, मान और मद से युक्त किसी प्रकार भी पूर्ण न होने वाली कामनाओं का आश्रय लेकर भ्रष्ट आचरणों को धारण करके संसार में विचरता है।
बुरा समय दूर करने के लिए रखें इन बातों का ध्यान
अपनी भावनाओं को अपने वश में करने वाला बुरे समय के दिनों को भी अच्छे समय में परिवर्तित कर लेता है। दूसरे लोग उनके साथ जैसे भी पेश आएं, वे विचलित नहीं होते, न ही उनकी बातों को दिल से लगाते हैं।
जिस स्थान पर दो लोगों में वाद-विवाद चल रहा हो अथवा किसी तर्क को लेकर बहस कर रहे हों वहां से पलायन करना ही उचित है। क्रोध आने पर आवेश में नहीं आते, दिल की बजाय दिमाग से सोचते हैं।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समय के साथ स्वयं को बदलना, सकारात्मक सोच अपनाना, जैसी भी परिस्थिती हो उसके अनुरूप स्वयं को ढाल लेना ऐसे लोगों के पास तक नहीं फटकता बुरे समय।