शत्रु नाश के लिए करें इस मंत्र का जाप

Edited By ,Updated: 06 Jun, 2015 12:26 PM

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कलयुग में ईर्षा और बैर अपनी चरम सीमा पर हैं। लोग अपनी जीत से कम और दूसरों की हार पर ज्यादा खुश होते हैं। यदि आप शत्रुबाधा से परेशान हैं ज्ञात-अज्ञात शत्रु आपको हानि पहुंचा रहे हैं तो शत्रु बाधा से मुक्ति पाने व शुभ, आरोग्य, धन सम्पदा की प्राप्ति...

कलयुग में ईर्षा और बैर अपनी चरम सीमा पर हैं। लोग अपनी जीत से कम और दूसरों की हार पर ज्यादा खुश होते हैं। यदि आप शत्रुबाधा से परेशान हैं ज्ञात-अज्ञात शत्रु आपको हानि पहुंचा रहे हैं तो शत्रु बाधा से मुक्ति पाने व शुभ, आरोग्य, धन सम्पदा की प्राप्ति हेतु सबसे सरल उपाय है भगवती छिन्नमस्ता साधना।

छिन्नमस्ता देवी शत्रु नाश की सबसे बड़ी देवी हैं,भगवान् परशुराम ने इसी विद्या के प्रभाव से अपार बल अर्जित किया था। भगवती छिन्नमस्ता दस महाविद्यायों में प्रचंड चंड नायिका के नाम से पूजी जाती हैं। इनके शिव कबंध हैं। देवी नें एक हाथ में अपना ही मस्तक पकड़ रखा हैं और दूसरे हाथ में खडग धारण किया है। देवी आयु, आकर्षण,धन,बुद्धि,रोगमुक्ति व शत्रुनाश करती हैं। शास्त्रों में देवी को ही प्राणतोषिनी कहा गया है। इनकी विधिवत पूजा से शत्रुबंधन से निश्चित मुक्ति मिलती है।

शनिवार के दिन नित्यकर्म से निवृत होकर देवी पूजन हेतु सांकल करें। दक्षिण-पश्चिम मुखी होकर नीला या काला कपड़ा बिछाकर देवी छिन्नमस्ता का चित्र स्थापित करें। तदुपरान्त देवी छिन्नमस्ता का पंचौपचार पूजन करें। सामर्थ्यानुसार नारियल, काले चने, साबुत उड़द और गुड़ देवी के चरणों में अर्पित करें। इसके बाद लाजव्रत या काले काले हकीक की माला से इस मंत्र का 108 बार जाप करें निश्चित शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा।

मंत्र: त्रैलोक्यविजये मुक्तौ विनियोगः प्रकीर्तितः। हुङ्कारो मे शिरः पातु छिन्नमस्ता बलप्रदा॥

मंत्र स्रोत: शास्त्र "भैरव तंत्र" अंतर्गत त्रैलोक्य विजय छिन्नमस्ता कवच।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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