Edited By ,Updated: 06 Jun, 2015 01:03 PM
भोजन जीवन की मूलभूत अवश्यकता है। शास्त्र कहते हैं जीवन के लिए भोजन अवश्यक है न कि भोजन के लिए जीवन। स्वाद के वशीभूत हो हम कभी-कभी अनावश्यक हानिकारक वस्तुएं खा लेते हैं जो हमारे स्वस्थ्य को तो प्रभावित करती ही हैं
भोजन जीवन की मूलभूत अवश्यकता है। शास्त्र कहते हैं जीवन के लिए भोजन अवश्यक है न कि भोजन के लिए जीवन। स्वाद के वशीभूत हो हम कभी-कभी अनावश्यक हानिकारक वस्तुएं खा लेते हैं जो हमारे स्वस्थ्य को तो प्रभावित करती ही हैं साथ ही ऐसा करना भोजन का अनादर करना है। भोजन को प्रसाद की भांति खाना चाहिए। अधिक खाना और न खाना दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार भोजन करने से 100 वर्ष की आयु भोग सकते हैं आप आईए जानें कैसे-
* भोजन ग्रहण करने से पहले दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख को अच्छी तरह से धो लें।
* पूर्व और उत्तर दिशा में मुख करके भोजन खाएं। दक्षिण दिशा में मुख करके भोजन खाने से जीवन और व्यवहार में प्रतिकूलता आती है। पश्चिम दिशा में मुख करके भोजन खाने से शरीर रोग ग्रस्त होता है।
* खंडित बर्तन में खाना खाने से हमारी जीवनशैली नकारात्मक बनती है। जैसे बर्तनों में हम भोजन करते हैं हमारा स्वभाव और स्वास्थ्य भी वैसा ही बन जाता है। इसी वजह से अच्छे और साफ बर्तनों में भोजन करें। इससे आपके विचार भी शुद्ध होंगे और सकारात्मक ऊर्जा का शुभ प्रभाव आप पर पड़ेगा।
* जमीन पर पालथी मारकर बाजोट या लकड़ी के पाटे पर थाली रखकर भोजन करना चाहिए। थाली को हाथ में लेकर खाना नहीं खाएं।
* भोजन करते समय मन में किसी के प्रति द्वेष भाव न लाएं और न ही मनपसंद भोजन मिलने पर क्रोध करें। भगवान का शुक्र करते हुए प्रसन्नचित मन से भोजन खाएं।