सदाबहार जवान एवं खूबसूरत बने रहने के लिए करें उपाय

Edited By ,Updated: 18 Jun, 2015 09:04 AM

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भगवान श्रीराम के सौंदर्य का वर्णन भी रामायणादि ग्रंथों में यथेष्ट मात्रा में पाया जाता है। तुलसीदास के रामचरितमानस में तो स्थल-स्थल पर इस तरह के विवरण भरे पड़े हैं। राजा जनक जब विश्वामित्र मुनि से मिलने गए तो वहां भगवान श्रीराम की

भगवान श्रीराम के सौंदर्य का वर्णन भी रामायणादि ग्रंथों में यथेष्ट मात्रा में पाया जाता है। तुलसीदास के रामचरितमानस में तो स्थल-स्थल पर इस तरह के विवरण भरे पड़े हैं। राजा जनक जब विश्वामित्र मुनि से मिलने गए तो वहां भगवान श्रीराम की सुंदर छवि देखकर वह अपनी सुध-बुध ही भूल गए थे। राजा जनक भगवान श्रीराम को देखकर सचमुच ही विदेह हो गए थे। भगवान् श्रीराम के अलौकिक सौंदर्य का यहां तक प्रभाव पड़ा कि तुलसीदास जी लिखते हैं "बरबस ब्रह्म सुखहिं मन त्यागा।"
 
भगवान श्रीराम अपनी छवि और कांति से अगणित कामदेवों को लज्जित करने वाले अवतार पुरुष हैं। तुलसीदास रचित रामचरितमानस के अनुसार राजा जनक की पुष्पवाटिका में माता सीता की एक सखी ने जब भगवान् श्री राम को जब देखा तो वह भौंचक रह गई। सीता के निकट आकर वह केवल इतना ही कह सकी " स्याम गौर किमि कहौं वखानी, गिरा अनयन नयन बिनु बानी।"
 
तुलसीदास रचित रामचरितमानस के अनुसार मखभूमि में तथा विवाह मंडप में भी भगवान श्रीराम के नखशिख का ऐसा ही सुंदर वर्णन मानस में दिया गया है। सामान्य लोगों की तो बात ही क्या, परशुराम जैसे दुर्धर्ष वीर को भी भगवान श्रीराम के अलौकिक सौंदर्य ने हक्का-बक्का बना दिया। 
 
वे निर्निमेष नेत्रों से उन्हें देखते रह गए। ऐसा ही एक प्रसंग उस समय आया जब खर दूषण की सेना के वीर भगवान श्रीराम का रूप देखकर हथियार चलाना ही भूल गए थे। उनके नेता को स्वीकार करना पड़ा कि अपने जीवन में आज तक हमने ऐसा सौंदर्य कहीं देखा ही नहीं। तुलसीदास के रामचरितमानस में भगवान श्रीराम के अंग प्रत्यंग और रूप का जो वर्णन किया गया है, वह अद्वितीय है। भगवान श्रीराम के स्वरुप की विस्तार-पूर्वक विवरण तुलसीदास की रामचरितमानस के बालकाण्ड से मिलती है। 
 
सौंदर्य में वृद्धि के लिए: घर की उत्तरपूर्व दिशा में पीला कपडा बिछाएं। पीले कपडे पर चना दाल से मंडल बनाएं तथा मंडल पर भगवन श्री राम के बाल स्वरुप का चित्र स्थापित करें। भगवान श्री राम का विधिवत पूजन करें। शुद्ध घी का दीप जलाएं, चंदन  से धुप करें, पीतचंदन  से तिलक करें, पीले फूल चढ़ाएं तथा गुड-चना का भोग लगाएं। पूजन  बाद पीपल के पत्ते पर हल्दी रखकर भगवन को अर्पित करें तथा चंदन  की माला से इस मंत्र का यथासंभव जाप पूरा होने के बाद चढ़ाई हुई हल्दी का उपयोग उबटन या लेप के रूप में अपने चेहरे पर करें निश्चित ही सौंदर्य में वृद्धि होगी और आप सदाबहार जवान एवं खूबसूरत बनेंगे।
 
मंत्र: लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी। भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी॥
 
मंत्र गोस्वामी तुलसीदास विरचित श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड से है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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