Edited By ,Updated: 21 Jun, 2015 12:06 PM
‘‘राजन, आप सब कुछ कर सकते हैं परंतु आपने स्नेहवश अपने पुत्रों को बुरे कर्मों से कभी रोका नहीं । इसी का फल आगे चल कर आपके सामने आने वाला है ...
‘‘राजन, आप सब कुछ कर सकते हैं परंतु आपने स्नेहवश अपने पुत्रों को बुरे कर्मों से कभी रोका नहीं । इसी का फल आगे चल कर आपके सामने आने वाला है ।’’ संजय ने उत्तर दिया । ‘‘यही तो मैं भी कहता हूं संजय । इसी का फल मेरे सामने आने वाला है । क्या ऐसा कोई भी उपाय नहीं है जिससे हम कृष्ण वासुदेव और बलराम को अपने पक्ष में कर लें।
मेरा विचार है कि इसके लिए प्रयत्न करने में तो कोई बुराई नहीं है । व्यास मुनि जिस प्रकार हमारे पूज्य हैं उसी प्रकार पांडवों के भी पूज्य हैं और पितामह भी । यदि उनसे इस विषय में सहायता के लिए प्रार्थना की जाए तो इस विषय में आपका क्या विचार है? मेरे विचार में यदि वे दोनों भाई हमारे पक्ष में न भी आएं तो कम से कम निष्पक्ष ही रहें ऐसा तो असंभव नहीं है?’’ धृतराष्ट ने भरे गले से संजय से पूछा। (क्रमश:)