Edited By ,Updated: 08 Jul, 2015 10:28 AM
इस वर्ष श्री अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ 2 जुलाई 2015 से हो गया है। बर्फानी बाबा का प्रथम दर्शन पाने की प्रत्येक हिंदू की मंशा होती है लेकिन हर किसी को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता। आप इस लेख और तस्वीरों के माध्यम से भोले बाबा के दरबार की मानसिक...
इस वर्ष श्री अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ 2 जुलाई 2015 से हो गया है। बर्फानी बाबा का प्रथम दर्शन पाने की प्रत्येक हिंदू की मंशा होती है लेकिन हर किसी को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता। आप इस लेख और तस्वीरों के माध्यम से भोले बाबा के दरबार की मानसिक यात्रा कर सकते हैं।
अमरनाथ यात्रा का आरंभ पहलगाम से होता है। यह जगह इतनी मनोरम है ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपनी सारी खूबसूरती इसी स्थान को दे दी है। चैकिंग के दौरान भोले बाबा के भक्तों को आगे जाने की अनुमती मिलती है।
अमरनाथ यात्रा का दूसरा पड़ाव है चंदनबाड़ी। माना जाता है की भोले नाथ और माता पार्वती जब अमरनाथ गुफा में जा रहे थे तो भोले नाथ ने अपने चंदन और भस्म को यहां अपने अंग से अलग कर रख दिया था।
अमरनाथ यात्रा का तीसरा पड़ाव है पिस्सु घाटी जो पिस्सु टॉप नाम से भी जाना जाता है। भोले नाथ ने यहां अपनी जटाओं से पिस्सूओं को उतार कर रखा था। अन्य प्राचीन कथा के अनुसार इस घाटी पर देवताओं और राक्षसों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था जिसमें दानव हार गए थे और देवों की विजय हुई थी।
चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर की दूरी पर शेषनाग झील है। इस स्थान पर भगवान शिव ने शेषनाग को अपने गले से उतार कर रखा था। माना जाता है की दिन में एक बार शेषनाग झील से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
शेषनाग झील से आठ मील की दूरी पर पांच छोटी-छोटी धाराएं प्रवाहित होती हैं इसलिए इस जगह को पंचतरणी नाम से जाना जाता है।
शेषनाग से आठ मील के फासले पर पंचतरणी है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे से लेकर महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा मार्ग उतराई का है।
पंचतरणी से अमरनाथ गुफा का मार्ग आठ किलोमीटर है। बर्फ से ढका होने के कारण यह मार्ग काफी कठिन है। इसके बाद श्री अमरनाथ जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होता है।
श्री अमरनाथ गुफा जी के साथ ही देवी पार्वती का शक्तिपीठ भी स्थापित है जो महामाया शक्तिपीठ के नाम से विख्यात है। इस स्थान पर देवी सती का गला गिरा था। पवित्र गुफा में जहां बाबा बर्फानी हिमलिंग के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं वहीं हिमनिर्मित पार्वती पीठ भी प्रकृतिक रूप से बनता है। पार्वती पीठ को ही महामाया शक्तिपीठ कहा जाता है। सावन माह की पूर्णिमा को हिमलिंग और शक्तिपीठ दोनों के दर्शन किए जा सकते हैं। माना जाता है की इन दोनों के दर्शन करने से शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है।