Edited By ,Updated: 18 Jul, 2015 11:57 AM
ईदुल फितर का त्यौहार साल में एक बार आता है, लेकिन यह अपने साथ ढेर सारी खुशियां लाता है। यह भी इस्लाम ही की देन है कि इसने अपने अनुयायियों के लिए कुछ ऐसा प्रबंध कर दिया है कि इस दिन अमीर-गरीब सभी के चेहरे व घरों में एक समान खुशियों के आसार नजर आते...
ईदुल फितर का त्यौहार साल में एक बार आता है, लेकिन यह अपने साथ ढेर सारी खुशियां लाता है। यह भी इस्लाम ही की देन है कि इसने अपने अनुयायियों के लिए कुछ ऐसा प्रबंध कर दिया है कि इस दिन अमीर-गरीब सभी के चेहरे व घरों में एक समान खुशियों के आसार नजर आते हैं।
अमीर जहां अल्लाह की दी हुई दौलत के द्वारा खुशी प्रकट करता है, अच्छे से अच्छा कपड़ा पहनता और अच्छे से अच्छा खाना खाता-पीता है, वहीं गरीबों, कमजोरों और बेसहारों के लिए अल्लाह तआला ने सदका फितर के रूप में सुप्रबंध कर दिया है।
ईदुल फितर जहां खुशी मनाने का दिन है, उसी तरह यह अल्लाह का शुक्र अदा करने का भी दिन है।
इस्लाम प्राकृतिक-धर्म का दूसरा नाम है। इसने जहां अपने अनुयायियों के लिए ईदुल-फितर और ईदुल-अज़हा के रूप में महान त्यौहार बनाए, जो एकता, सौहार्द,आपसी भाईचारा, प्रेम-मोहब्बत व त्याग की मिसाल पेश करते हैं।
नेकी और बरकतों के मौसम रमजानुल मुबारक के बाद ईदुल-फितर का आना अपने आप में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। सादगी जहां इस्लामी त्यौहार की मुख्य विशेषता है, वहीं इसमें त्याग व कुर्बानी देखने को मिलती है। इबादत अल्लाह की प्रसन्नता और कृतज्ञता प्रकट करना तो जैसे इस्लामी त्यौहारों के स्रोत होते हैं।
ईद के शाब्दिक अर्थ हैं-खुशी और फितर का अर्थ है किसी बंदिश से आज़ाद होना। कुरऑन मजीद में रमज़ान के महीने को सब से पवित्र माना गया है और हिजरी कैलण्डर के अनुसार यह नौवें महीने से शुरू होता है। इस्लाम में पांच बुनियादी असूल दिए गए हैं। पहला ईमान यानी इस बात को मानना कि रब एक है। दूसरा नमाज़ अर्थात रब की इबादत करना, तीसरा रोज़े रखना, चौथा ज़कात अदा करना अर्थात अपनी हक़-हलाल की कमाई का सालाना अढ़ाई प्रतिशत गरीबों में दान करना और पांचवां हज करना। उपरोक्त सभी फजरों के साथ रोज़े रखना भी फजऱ् बताया गया है। इस में सुबह सहरी खाकर पूरा दिन भूखा रह कर शाम के वक्त रोजा इफ्तार किया जाता है।
एक हदीस के अनुसार रमज़ान के पवित्र माह में रोज़े रखना दिल की खोट और गलत ख्यालों को दूर करना है।
हकारत मोहम्मद साहिब ने शबान (रमज़ान के महीने से पहला महीना) की आखिरी तारीख में लोगों को नसीहत दी कि एक महीना आ रहा है जो बहुत खास है। इस महीने की एक रात शब-ए-कदर है जो हज़ार महीनों से अधिक बेहतर होगी। इस महीने को सब्र-संतोष का महीना कहा गया है। इस महीने की इबादत का फल 70 गुना अधिक बताया गया है।
कुरआन मजीद के साथ-साथ अल्लाह-ताअला की सारी पुस्तकें इसी माह दुनिया में उतरी मानी जाती हैं।
—मोहम्मद सिब्गतुल्लाह नदवी/कमल कान्त मोदी