1 ही Click में जानें देवी दुर्गा की पूजन विधि तथा शुभ मुहूर्त

Edited By Jyoti,Updated: 28 Jun, 2020 09:32 AM

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आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के दिन रविवार 02.53 एम से अष्टमी तिथि शुरू हो गई है। हिंदी पंचांग के अनुसार इस दिन मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के दिन रविवार 02.53 एम से अष्टमी तिथि शुरू हो गई है। हिंदी पंचांग के अनुसार इस दिन मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों आदि में इस दिन को खासा महत्व दिया गया है। देव दुर्गा को समर्पित इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करने से तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इस दिन महिला-पुरुष दोनों ही व्रत का लाभ पा सकते हैं।
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तो वहीं ये मान्यता भी प्रचलित है कि इस दिन देवी दुर्गा की पूजा से जीवन के तमाम कष्ट दूर होते हैं। धन संबंधी परेशानियां, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तथा शत्रुओं का डर जैसी दिक्कतों को देवी दुर्गा स्वयं दूर करती हैं। कहा जाता है माता दुर्गा का खास आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए इस दिन पूरे मनोयोग से इनकी पूजा करनी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी भी कहा जाता है, अश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। दुर्गाष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में भी लिखा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

आषाढ़  शुक्ल अष्टमी का मुहूर्त समय
प्रारम्भ - 02:53 ए एम, जून 28
समाप्त - 12:35 ए एम, जून 29
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व्रत व पूजन विधि
सुबह स्नान करने के बाद सर्वप्रथम पूजा स्थान को शुद्ध करें।
फिर पूजा प्रारंभ करें तथा दुर्गा मां को पुष्प, मिष्ठान और फल अर्पित करें।
अब धूप और घी का दीपक जलाकर पूरा दिन उपवास रखने का संकल्प लें।
इसे बाद सूर्य भगवान को जल अर्घ्य ज़रूर दें। चूंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है, इसलिए इस दिन इन की पूजा करनी लाभादायक साबित होती है।
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कथा
पौराणिक मत अनुसार प्राचीन समय में जब पृथ्वी पर असुरों की अराजकता बढ़ने लगी तो उन्होंने स्वर्ग पर कब्जा करने की ठानी। इन असुरों का राजा महिषासुर था जिसने असुरों की सेना लेकर स्वर्ग पर हमला बोल दिया और कई देवताओं का वध कर डाला। स्वर्ग में को तहस नहस करने लगे तब सभी देवी देवताओं ने त्रिदेव यानि भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की शरण ली। जिसके बाद शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया गया। प्रत्येक देवता ने देवी को विशेष हथियार प्रदान किया। जिसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया। इसी दिन को वर्तमान में दुर्गा अष्टमी के रूप मनाया जाता है।
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