Life का हर सुख चाहिए तो महाष्टमी पर ये पढ़ना न भूलें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Oct, 2019 02:09 PM

ashtami navratri mahagouri

नवरात्रि के नौ दिनों का अपना-अपना विशेष महत्व है लेकिन आठवें दिन अष्टमी पूजन की खास अहमियत मानी गई है। तभी इस दिन को महाष्टमी के रुप में मनाया जाता है। ये दिवस मां दुर्गा के महागौरी रूप को समर्पित है।

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नवरात्रि के नौ दिनों का अपना-अपना विशेष महत्व है लेकिन आठवें दिन अष्टमी पूजन की खास अहमियत मानी गई है। तभी इस दिन को महाष्टमी के रुप में मनाया जाता है। ये दिवस मां दुर्गा के महागौरी रूप को समर्पित है। गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। मां कन्या पूजन करने वाले भक्तों से बहुत प्रसन्न होती हैं। अटल सुहाग की इच्छा करने वाली महिलाएं मां को चुनरी भेंट करें। मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छुक कन्याएं मां को 16 श्रृंगार का सामान भेंट करें।

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मां की पूजा आरंभ करने से पहले देवी महागौरी का इस मंत्र से ध्यान करें-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

जीवन का हर सुख चाहिए तो महाष्टमी पर ये पढ़ना न भूलें, महागौरी के मंत्र :
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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महागौरी स्तोत्र :
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी की ध्यान :
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

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माता महागौरी की कवच :
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

आदि शक्ति मां दुर्गा का ध्यान करने वाले के जीवन में कभी शोक और दुख नहीं आता। मां का केवल एक रूप है, अनेक नहीं इस रहस्य का ज्ञात होने से जातक भगवान शिव की शक्ति के ओज मंडल में शामिल हो जाता है। भगवान शिव ने जब अपनी आराध्य शक्ति को नमस्कार कर उनकी पूजा की तो उस समय मंगल कामना के लिए इस श्लोक से महागौरी की स्तुति की थी। आप भी अपना कल्याण चाहते हैं तो इसे पढ़ कर मां को करें प्रसन्न-

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 


 

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