Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Apr, 2019 01:31 PM
सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलु हैं, जो कभी एकसाथ नज़र नहीं आते। जीवन भी ऐसा ही है दुख के काले बादल हटने के बाद सुख का आगमन होता है। ज्योतिष विद्वान कहते हैं लाइफ में सुख-दुख का आना-जाना कुंडली के ग्रहों पर निर्भर करता है।
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सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलु हैं, जो कभी एकसाथ नज़र नहीं आते। जीवन भी ऐसा ही है दुख के काले बादल हटने के बाद सुख का आगमन होता है। ज्योतिष विद्वान कहते हैं लाइफ में सुख-दुख का आना-जाना कुंडली के ग्रहों पर निर्भर करता है। व्यक्ति के जीवन में जब ग्रहों की अशुभता का प्रभाव रहता है तो वे हर तरफ से हताश, निराश और परेशान रहता है। वैसे तो कुंडली में नवग्रह का प्रभाव रहता है लेकिन मुख्य रुप से 7 ग्रह माने गए हैं (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि), राहु और केतु छाया ग्रह हैं। अपनी नेचर से भी ग्रहों के असर को बेअसर किया जा सकता है। इसके अलावा ग्रहों को बलवान और शुभ बनाने के लिए करें ये महाउपाय-
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सूर्य- सदा सच बोलें। जो लोग झूठ बोलते हैं या उसका साथ भी देते हैं, वह जीवन में कभी मनचाही सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
चंद्रमा- हमेशा साफ और स्वच्छ रहें और अपने आस-पास भी गंदगी न फैलने दें। मलिनता राहु का प्रतीक है। चंद्रमा को सबसे अधिक भय राहु से लगता है। यदि आप हमेशा व्यवस्थित रहेंगे तो चंद्रमा और राहु दोनों की कृपा आप पर बनी रहेगी।
मंगल - मंगलवार के दिन रक्तदान करने से जीवन में कभी अमंगल नहीं होता। अपने भाइयों से अच्छे रिश्ते कायम करें।
बुध- ज्योतिष विद्वान बुध को नपुंसक ग्रह मानते हैं। बुध की शुद्धता प्राप्त करनी है तो किन्नरों का आदर करें।
बृहस्पति- बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है। वे सभी ग्रहों के गुरु हैं अर्थात सम्मान के प्रतीक हैं। उनसे शुभ फल चाहिए तो अपनों से बड़ों और गुरु की रिस्पेक्ट करें।
शुक्र- इन्हें नारी ग्रह माना गया है। जो लोग महिलाओं को आदर नहीं देते या उन पर बुरी नज़र डालते हैं, वह कभी शुक्र की कृपा प्राप्त नहीं कर पाते।
शनि- शनि को कर्मफलदाता और न्यायाधीश कहा गया है। वे गरीबों के मसीहा हैं। जो व्यक्ति अपने अधीनस्थ कर्मचारियों या गरीबों को कष्ट देते हैं, वे लाइफ में कभी ऊपर नहीं उठ पाते।
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