नशे की लत को लात मारना चाहते हैं तो ये जरुर पढ़ें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Aug, 2019 07:44 AM

astrological connection of drugs and alcohol

नशा व्यक्ति की बुरी आदतों में से एक है फिर चाहे वह सिगरेट का हो या शराब का नशा, ‘नशा’ नशा होता है। शराब पीना व्यक्ति की बुरी आदतों में शामिल है साथ ही यह उसका असामान्य व्यवहार भी है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

नशा व्यक्ति की बुरी आदतों में से एक है फिर चाहे वह सिगरेट का हो या शराब का नशा, ‘नशा’ नशा होता है। शराब पीना व्यक्ति की बुरी आदतों में शामिल है साथ ही यह उसका असामान्य व्यवहार भी है। अक्सर देखा जाता है कि शादी-विवाह, पार्टी, पारिवारिक माहौल, बुरी संगत, व्यावसायिक पार्टी, खुशी का माहौल या दुख की स्थिति अथवा यार-दोस्तों के कारण व्यक्ति को शराब का व्यसन ही लग जाता है। प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथ ‘जातक तत्व’ के अनुसार मदिरापान के निम्नलिखित लग्न से संबंधित कारण है-
लग्न में मकर राशि का गुरु हो।
लग्नेश नीच राशिगत हो, निर्बल हो।
लग्न का स्वामी मंगल से युक्त हो।
लग्न पर पाप ग्रहों की दृष्टि अधिक हो।
लग्न का स्वामी शुभ राशिगत या जलीय राशि में पापी ग्रहों से पीड़ित हो।
लग्न में शनि एवं लग्नेश पाप ग्रहों के साथ तथा गुरु के साथ राहू हो तो जातक शराब पीता है।
लग्न में नीच ग्रह हो और पाप ग्रह निर्बल हो, बारहवें स्थान में शनि राहू हो तो जातक शराबी होता है।
लग्न का स्वामी निर्बल, अस्त हो, बुध, गुरु, शुक्र, वक्री हों और पाप ग्रहों के साथ हों तो जातक शराब-मांस का शौकीन होता है।

PunjabKesari Astrological connection of Drugs and alcohol

इसके विपरीत यदि लग्नेश बलवान हो, लग्न को देखता हो, लग्न नवम भाव में शुभ हो, जो जातक निर्व्यसनी होता है।

द्वितीय भाव से संबंधित कारण
द्वितीय भाव भोजन तथा पेय वस्तुओं से संबंध रखता है। चंद्रमा भी पेय पदार्थों के कारक का प्रतिनिधित्व करता है।
द्वितीय भाव में जलीय राशि ग्रह हो और राहु तथा शनि का प्रभाव हो, तो जातक शराब पीने के व्यसनी होगा।
द्वितीय भाव में शनि अन्य दोषों के साथ-साथ कड़वी भाषा और शराब की आदत भी देता है।

द्वादश भाव से संबंधित कारण
द्वादश भाव व्यय का कारक होता है। मदिरापान जैसी बुरी आदत पर व्यय करने वाला जातक वह होगा जिसके-
बारहवें भाव में पाप ग्रह हो।
बारहवें भाव का स्वामी नीच राशिगत हो।

PunjabKesari Astrological connection of Drugs and alcohol

वृश्चिक राशि से संबंधित कारण
वृश्चिक राशि नशे की आदत को दर्शाती है। इस राशि से संबंधित मदिरापान के निम्नलिखित कारण हैं-
जब यह राशि तृतीय भाव या अष्टम भाव में हो और शुक्र, शनि, मंगल इसमें स्थित होकर पाप ग्रहों से दृष्ट हों तो जातक नशे का आदी हो जाता है।
वृश्चिक लग्न भी शराब की ओर आकर्षित करता है।
वृश्चिक राशि में नेपच्यून हो तो जातक शराब का आदी होता है।
लग्न में जलीय राशि में नेपच्यून भी इसी प्रकार के परिणाम देता है। चंद्रमा-मंगल, चंद्रमा-नेपच्यून, शुक्र-नेपच्यून का अशुभ संबंध या दृष्टि भी शराब का आदी बनाती है।

अन्य कारण
जब लग्नाधिपति लग्न, चंद्र, लग्नाधिपति चंद्रमा तथा द्वितीयाधिपति द्वितीय भाव पर यदि राहू अथवा शनि का प्रभाव हो तो मनुष्य को शराब पीने का निर्व्यसन हो जाता है।
सूर्य और मंगल की युति हो तो जातक को शराब पीने की आदत होती है।
सूर्य-चंद्रमा लग्न जलीय राशि में मंगल-शनि से दूषित हों तो जातक शराबी होता है।
चंद्रमा गुरु जलीय राशि में मंगल शनि से पीड़ित हो।
वृश्चिक लग्न में सूर्य एवं चंद्रमा अशुभ स्थान में हों।
मंगल लग्नेश होकर वृष, कर्क, तुला में पीड़ित हो।
कर्क राशि का मंगल जातक को परिवार में वर्जित पेय एवं  खाद्य पदार्थों का भोग कराता है।

यदि कोई पापी ग्रह षष्ठ, अष्टम और द्वादश भाव में हो और चतुर्थ भाव में कोई नीच राशिगत ग्रह स्थित हो और चतुर्थेश या तो स्वयं नीच राशि में हो या नीच ग्रह से युक्त हो तो जातक को शराब पीने की लत पड़ जाती है। बुध, गुरु, शुक्र क्रूर ग्रहों के साथ हो अथवा नीच हो तो जातक शराब, मांस आदि का सेवन करता है। प्राय: अंतर्मुखी लोग ही शराब में गहरे डूबते हैं। इन्हें जीवन से प्यार करने और परिस्थितियों से समझौता करने को प्रेरित करना चाहिए। आवश्यकता पडऩे पर मनोचिकित्सक और नशा मुक्ति चिकित्सक की सहायता भी लेनी चाहिए।

PunjabKesari Astrological connection of Drugs and alcohol

ज्योतिष के अनुसार संबंधित पापी ग्रह की शांति आदि भी करा लेनी चाहिए। परिस्थिति अनुसार निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
हमें अपने व्यवहार और जातक की संगति बदलनी चाहिए। जातक को विश्वास में लेकर संकल्पपूर्वक शराब छोडऩे के लिए प्रेरित करना चाहिए।
आदित्यहृदय स्रोत का पाठ करना चाहिए।
माणिक्य युक्त सूर्य यंत्र धारण करें।
राहू के कारण यह समस्या हो तो भैरव की पूजा, मंत्र जप, सरसों का दान आदि करना चाहिए।
गुरु कमजोर होकर लग्नेश हो, लग्न को दूसरे भाव से देखता हो, तो सोने की अंगूठी में पुखराज पहनें, केसर आदि पीले पदार्थों का सेवन करें।
शनि के कारण समस्या हो तो शिवलिंग पर जल चढ़ाना, सहस्रधारा का आयोजन, शनि का जप आदि करना चाहिए।
मंगल के कारण समस्या हो तो मंगलवार का व्रत रखना चाहिए।
लग्न और लग्नेश को बली करना चाहिए।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!