हाथ हैं भविष्य का आइना जानें, इनसे दूसरों के स्वभाव की गोपनीय बातें

Edited By ,Updated: 29 Nov, 2016 08:00 AM

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प्राचीन ऋषि-महाऋर्षियों के निरंतर चिंतन-मनन और तप साधना द्वारा सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष ग्रंथों का निर्माण हुआ। इन ग्रंथों के निर्माण का मूल उद्देश्य जनहित रहा है और उनकी निवृत्ति

प्राचीन ऋषि-महाऋर्षियों के निरंतर चिंतन-मनन और तप साधना द्वारा सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष ग्रंथों का निर्माण हुआ। इन ग्रंथों के निर्माण का मूल उद्देश्य जनहित रहा है और उनकी निवृत्ति विभिन्न उपायों द्वारा संभव है।  अत: यहां अरुण संहिता ग्रंथ का सारांश सामुद्रिक शास्त्र के अंतर्गत प्रस्तुत है : 


हथेली की बनावट 
हथेली मोटी या भारी हो : तो जातक लालची होता है तथा सामान्य स्तर का जीवन बिताता है।


हथेली पतली तथा कमजोर : ऐसा जातक गरीबी का जीवन बिताने वाला होता है।


लम्बी हथेली : स्पष्टवादी होता है।


लंबी किंतु गोल हथेली : अफसरशाही स्वभाव, हंसमुख तथा सुधरी हुई हालत वाला जातक होता है।


अंगूठा : अंगूठा जितना लम्बा होगा, व्यक्ति उतना ही अपने आप पर कंट्रोल करने वाला होता है तथा अंगूठा जितना छोटा होगा, व्यक्ति उतना ही चंचल होता है, स्वभाव से जिद्दी तथा हालात से तंग होता है (अर्थात आर्थिक स्थिति से)। अंगूठा जितना मोटा हो, उस भांति ही व्यक्ति गरीबी का जीवन जीने वाला होता है। अंगूठा सीधा रहता हुआ दिखाई दे और अंगूठे के नाखून वाला पौर पीठ की तरफ झुका हो तो ऐसे जातक की धन-दौलत दूसरों के (रिश्तेदारों के या सगे-संबंधियों के) काम आती है। ऐसा जातक स्वभाव से अवश्य विनम्र होता है।


सख्त हाथ वाला जातक : शासन करने वाला व उसकी मिसाल छोडऩे वाला होता है।


नर्म हाथ वाला जातक : ऐसा जातक आरामपसंद होता है।


नर्म फैले हुए हाथ : ऐसा जातक सुस्त स्वभाव का तथा मंदे भाग्य वाला होता है।


छोटे हाथ वाला : ऐसे जातक का जीवन गुलामी में बीतता है।


लम्बे हाथ वाला : जांच पड़ताल की समझ वाला और उससे जीवन को उच्च बनाने वाला होता है।


लम्बा, बेडौल व सख्त हाथ वाला : ऐसा जातक क्रूर होता है।


हाथ तथा पांव दोनों छोटे-छोटे हों : दूसरों के लिए मंदा और स्वार्थी होता है।


हाथ की उंगलियों के नाखून : नाखून पीले हों तो जातक खून की कमी वाला, शारीरिक दृष्टि से कमजोर होता है।


उंगली की पोरी में एक चक्र हो : ऐसा जातक कई प्रकार की विधाएं जानने वाला एवं राजा की भांति उत्तम शासक होता है।


उंगली की पोरी पर एक शंख हो : बृहस्पति की आयु (4/8/16) से माता-पिता को और उनसे सुख होगा और स्वयं उनकी अपनी आयु 75 वर्ष तक का भाग्य सुखमय होगा।


उंगलियों की पोरियों पर दो शंख हों : ऐसा जातक छोटे दिल वाला होता है।


तर्जनी उंगली का झुकाव मध्यमा उंगली की ओर हो तो ऐसा जातक अपने इरादे का पक्का होता है तथा स्वतंत्र विचारों वाला, प्रगतिशील विचारों की ओर निरंतर अग्रसर तथा उन्हें क्रियाशीलता प्रदान करने की भावना रखने वाला, उत्साह भारी उम्मीद वाला होता है।


बृहस्पति रेखा : गुरु के पर्वत पर दो सीधी खड़ी रेखाएं या गुरु का निशान हाथ में हो तो जातक वह चाहे स्त्री हो या पुरुष जगत गुरु होता है।


भाग्य रेखा : भाग्य रेखा सूर्य रेखा से न मिलती हो ऐसे जातक के जीवन में भाग्य की कोई किरण दृष्टिगोचर नहीं होती। 


विवाह रेखा : कनिष्ठिका उंगली के नीचे तथा हृदय रेखा के ऊपर विवाह रेखा यदि दोमुखी हो और उसकी एक शाखा मस्तिष्क रेखा को स्पर्श कर रही हो तो ऐसे व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) का अंतर्जातीय विवाह होता है किंतु विवाह असफल रहता है तथा तलाक हो जाता है। विवाह रेखा जितनी गहरी स्पष्ट और लालिमायुक्त, निर्दोष तथा लंबी होगी उतना ही दांपत्य जीवन सुख से परिपूर्ण होता है तथा दांपत्य जीवन दीर्घायु होता है। यदि विवाह रेखा टूटी हुई हो तो तलाक या जीवन साथी की मृत्यु के कारण वैवाहिक जीवन में बाधा आती है।
 

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