Kundli Tv- अमावस्या की रात में इस जगह भूत-प्रेत करते हैं Party

Edited By Jyoti,Updated: 25 Sep, 2018 02:21 PM

at this place ghost do party on amavasya night

भारत एक एेसा देश जहां कई तरह के मेेले आदि लगते हैं, अधिकतर मेलों के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक एेसे मेले के बारे में बताने जा रहे हैं,

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भारत एक एेसा देश जहां कई तरह के मेेले आदि लगते हैं, अधिकतर मेलों के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक एेसे मेले के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आम इंसान नहीं बल्कि जहां भूतों-प्रेतों का जमावड़ा लगता है। जी हां, सुनने में हैरान कर देने वाली यह बात बिल्कुल सच है। 
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मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में अमावस्या की रात को भूत-प्रेत देखने को मिलते हैं। कहा जाता है कि यहां हर साल श्राद्धपक्ष की अमावस्या की रात को नर्मदा किनारे भूत-प्रेतों का मेला लगता है। यहां आने वाले हर व्यक्ति का इस अद्भुत नज़ारे को देखकर होश उड़ जाते हैं। अमावस्या की रात को तो यहां का माहौल देखते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। एेसा कहा जाता है कि यहां मौजूद पेड़ों पर भूत-प्रेत का वास होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में-

मध्यप्रदेश के बैतूल में बंधारा नदी के किनारे पर मलाजपुर में बाबा की समाधि स्थल है, और इसी पेड़ के पास में पेड़ों की कई झुकी हुई डालियां भूत-प्रेतों की याद को ताज़ा करती हैं। कहा जाता है कि यहां व्यक्ति के शरीर से निकलने वाली प्रेत आत्मा पहले यहां स्थापित बाबा की समाधि की परिक्रमा करती है, बाद में किसी भी पेड़ पर उल्टा लटक जाती है।
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भूत-प्रेत बाधा निवारण के लिए गुरु साहब बाबा का मंदिर पूरे भारत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। बाबा की समाधि के पूरे चक्कर लगाने के पहले ही बाबा के सामने हाथ-पैर जोड़ कर मन्नत मांगने वाला व्यक्ति का सर पटक-पटक कर माफी मांगने के लिए पेट के बल लोटने का सिलसिला तब तक चलता है जब तब कि उसके शरीर से वह तथाकथित भूत यानी कि अदृश्य आत्मा निकल नहीं जाती।
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जिस किसी व्यक्ति को भूत-प्रेत लगे होते हैं उसे सबसे पहले बंधारा नदी में स्नान करवाया जाता है। उसके बाद पीड़ित व्यक्ति को गुरु साहब बाबा की समाधि पर लाया जाता है। जहां गुरु साहब बाबा के चरणों पर नमन करते ही पीड़ित व्यक्ति झूमने लगता है और उसके शरीर में एक अलग ही शक्ति आने लगती है जिससे उसकी सांसे तेज हो जाती है और आंखे लाल होकर एक जगह स्थिर हो जाती हैं। इतना होने के पश्चात जैसे ही बाबा की पूजा प्रक्रिया प्रारंभ होती है वैसे ही प्रेत-बाधा पीड़ित व्यक्ति के मुंह से अपने आप में परिचय देती है, पीड़ित व्यक्ति को छोड़ देने की प्रतिज्ञा करती है। इस अवस्था में पीड़ित आत्मा विभूषित हो जाती है और बाबा के श्री चरणों में दंडवत प्रणाम कर क्षमा याचना मांगता है। एक बात तो यहां पर दावे के साथ कही जा सकती है कि प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति यहां आता है तो वह निश्चित ही यहां से इस बाधा से मुक्त होकर ही जाता है।
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प्रतिवर्ष मकर संक्राति के बाद वाली पूर्णिमा को लगने वाले इस भूतों के मेले में आने वाले सैलानियों में देश-विदेश के लोगों की संख्या काफी होती है। यह मेला एक माह तक चलता है। ग्राम पंचायत मलाजपुर इसका आयोजन करती है। कई अंग्रेजों ने पुस्तकों एवं उपन्यासों तथा स्मरणों में इस मेले का जिक्र किया है। इन विदेशी लेखकों के किस्सों के चलते ही हर वर्ष कोई ना कोई विदेशी बैतूल जिले में स्थित मलाजपुर के गुरू साहेब के मेले में आता है।
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