Edited By Priya Sharma,Updated: 24 Jul, 2020 06:32 PM
मैं इस विवाद में नहीं जाना चाहता हूं कि मुहूर्त शुभ है अशुभ है । लेकिन मेरा उद्देश्य है कि वेदांग ज्योतिष की मर्यादा को बचाना है । ज्योतिष में पल पल मुहूर्तों का रहस्य होता है । मुहूर्त न होगा तो पंचांग की आवश्यकता ही नहीं होगी और पंचांग की आवश्यकता...
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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के लिए जो दिन तय हुआ है, उसकी तारीख पांच अगस्त है। 5 अगस्त को यादगार बनाने के लिए हिंदू संगठनों ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी हैं। सोशल मीडिया पर इस दिन विशेष पूजा और शाम को अपने-अपने घरों पर दिवाली की तरह रोशनी करने और दिए जलाने के संदेश दिए जा रहे हैं। अयोध्या के कुछ विद्वान 5 अगस्त के मुहूर्त को उचित ठहरा रहे हैं। इस पर आचार्य डॉ एच एस रावत ने अपनी राय दी है, उनका कहना है-
मैं इस विवाद में नहीं जाना चाहता हूं कि मुहूर्त शुभ है अशुभ है । लेकिन मेरा उद्देश्य है कि वेदांग ज्योतिष की मर्यादा को बचाना है। ज्योतिष में पल पल मुहूर्तों का रहस्य होता है । मुहूर्त न होगा तो पंचांग की आवश्यकता ही नहीं होगी और पंचांग की आवश्यकता नहीं होगी तो भविष्य में ब्राह्मण और ज्योतिषियों की आवश्यकता नहीं होगी। धर्म शास्त्रों से संचालित होता है और वेद धर्म शास्त्र ब्रहम वाणी होते हैं । इसलिए ब्रहम वाणी से छेड़छाड़ उचित नहीं है। भगवान विष्णु के शयन अवस्था में स्वस्ति वाचन कैसे संभव होगा?
चातुर्मास में सभी साधू संत तपस्या में लीन होते हैं वो अपने चातुर्मास को छोड़कर भूमि पूजन में कैसे सामिल हो सकते हैं ? भद्रसूक्तम के वेद मंत्र , गणेश स्तुति , पुरूष सूक्तम के वेद मंत्र और गोरी गणेश की पूजा शयन अवस्था में कैसे संभव होगी ? शयन अवस्था में दीप प्रज्वलन कैसे संभव होगा ? जब भगवान विष्णुहरि शयन अवस्था में होंगे तो आरती कैसे संभव होगी ? नई परंपरा को जन्म देने से भविष्य में लोग इसी देवशयन मुहूर्त का बहाना लेकर इन चातुर्मास में मकान बनाना, ग्रह प्रवेश करना और विवाह शादी करना जैसे परंपरा को जन्म देंगे ।
जो कि सनातन धर्म की परंपरागत धार्मिक नीति और पूजा विधियों के लिए उचित न होगा । देश के कर्मकांड के विद्वानों को इस पर विचार करना चाहिए ।
आचार्य डॉ एच एस रावत