जैन धर्म के लोगों के लिए क्यों खास है अयोध्या ?

Edited By Jyoti,Updated: 27 Apr, 2019 04:10 PM

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जब भी अयोध्या की बात आती है तो सभी का पहला ख्याल श्री राम की तरफ़ गी जाता है क्योंकि अयोध्या भूमि श्री राम से जुड़ी हुई है। ग्रंथों में किए उल्लेख के अनुसार अयोध्या श्री राम जी की जन्म भूमि थी।

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जब भी अयोध्या की बात आती है तो सभी का पहला ख्याल श्री राम की तरफ़ गी जाता है क्योंकि अयोध्या भूमि श्री राम से जुड़ी हुई है। ग्रंथों में किए उल्लेख के अनुसार अयोध्या श्री राम जी की जन्म भूमि थी। कहने का भाव है कि सभी अयोध्या को श्री राम से संबंध होने के अधिक पावन स्थली मानते थे। परंतु क्या आप जानते हैं कि अयोध्या का जैन से गहरा संबंध है। जी हां, हम जानते हैं आपक में से शायद ही कोई ऐसी व्यक्ति होगा जिसे इस बारे में पता होगा। तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा-
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सरयू नदी के तट पर बसे अयोध्या नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी। माथुरों के इतिहास अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे। ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ। कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे।

वैवस्वत मनु के 10 पुत्र- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसमें से इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान हुए। कहा जाता है कि इक्ष्वाकु कुल में ही आगे चलकर प्रभु श्रीराम पैदा हुए। माना जाता है कि अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा।
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ऋषभनाथ की जन्मभूमि अयोध्या-
जैसे कि हम सबको यही पता है कि जैन और हिंदू धर्म दोनों ही एक-दूसरे से अलग है मगर बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह एक ही कुल के धर्म हैं। कुलकरों की क्रमश: कुल परंपरा के सातवें कुलकर नाभिराज और उनकी पत्नी मरुदेवी से ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण 9 को अयोध्या में हुआ था। इसलिए अयोध्या भी जैन धर्म के लिए तीर्थ स्थल है।

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अयोध्या के राजा नाभिराज के पुत्र ऋषभ अपने पिता की मृत्यु के बाद राज सिंहासन पर बैठे और उन्होंने कृषि, शिल्प, असि (सैन्य शक्ति), मसि (परिश्रम), वाणिज्य और विद्या इन 6 आजीविका के साधनों की से व्यवस्था की और देश,नगरों एवं वर्ण व जातियों आदि का सुविभाजन किया। इनके दो पुत्र भरत और बाहुबली और दो पुत्रियां ब्राह्मी और सुंदरी थीं जिन्हें उन्होंने समस्त कलाएं व विद्याएं सिखाईं। मान्यताओं के अनुसार इनके पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत रखा गया था। अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। यही कारण है कि यह जैन धर्म के लिए अयोध्या बहुत ही पवित्र भूमि है।
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