Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jun, 2020 07:45 AM
भारत के सबसे लोकप्रिय महाकाव्य रामायण का ऐसा एक पात्र जिस के बिना रामायण कभी पूरी नहीं हो सकती थी उनका नाम है पवन पुत्र श्री हनुमान। भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Fourth Bada Mangal: भारत के सबसे लोकप्रिय महाकाव्य रामायण का ऐसा एक पात्र जिस के बिना रामायण कभी पूरी नहीं हो सकती थी उनका नाम है पवन पुत्र श्री हनुमान। भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी, सबसे बुद्धिमान और बलवान माने जाते हैं, उनका जन्म भगवान श्री राम की सहयता के लिए हुआ था। ऐसी मान्यता है की उनको अमरता का वरदान है, वो चिरकाल तक इस भूलोक में विराजमान रहेंगे। सच्चे मन से याद करने पर भगवान श्री हनुमान अपने भक्तों को संकट से उबारते हैं।
क्यों कहते हैं बड़ा मंगल
वैसे तो हर मंगलवार को भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है लेकिन जब बात ज्येष्ठ माह के मंगलवार की आती है तो महत्व और भी बढ़ जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ माह का आरम्भ 8 मई को हुआ था और 5 जून पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठ माह खत्म हो जाएगा। इस बार ज्येष्ठ माह में चार मंगलवार आए थे, पहला बड़ा मंगलवार 12 मई, दूसरा 19 मई, तीसरा 26 मई, चौथा और अंतिम मंगलवार 2 जून को होगा। कहा जाता है इसी दिन श्री हनुमान पहली बार भगवान राम से मिले थे।
बड़ा मंगल से जुड़ी कथा
बताया जाता है कि करीब 400 वर्ष पूर्व, मुग़ल शासक मोहम्मद अली शाह का बेटा बहुत बीमार हो गया। कोई भी वैद/हाकिम उसकी बीमारी को ठीक कर पाने में समर्थ नहीं हुआ। लोगों की सलाह पर अली शाह अपने बेटे को लेकर लखनऊ के अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मंदिर में मन्नत मांगने गया, उस दिन मंगलवार था। मन्नत का परिणाम यह निकला की उसका बेटा कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गया। तब नवाब ने भीषण गर्मी में जगह-जगह गुड़ और पानी का वितरण किया। तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई जो आज बड़े मंगवार के नाम से जाना जाता है।
अलीगंज के मंदिर के गुंबद पर एक सितारा और एक अर्घ्य चांद है। यह उत्सव हिन्दू-मुस्लिम की एकता का भी प्रतिक है।
इस दिन मंदिरों में बहुत रौनक होती है, भक्तों की भीड़ हनुमान जी के दर्शन के लिए मंदिरों में उमड़ पड़ती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर घर की साफ़-सफाई करनी चाहिए, नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर आसन पर बैठकर हनुमान जी को लाल फूल और सिंदूर चढ़ाना चाहिए। श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर के हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। प्रसाद में बूंदी के लड्डू या बूंदी चढ़ानी चाहिए।
मान्यता है कि मांगलिक दोष, शनि की महादशा, ढैय्या या साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को इस दिन व्रत रखकर सच्चे दिल से बजरंगबली की आराधना करनी चाहिए, सच्चे मन से की गई पूजा से प्रसन्न होकर भगवान हनुमान भक्त की हर इच्छा पूरी करते हैं।
आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट - www youtube.com/gurukulofastrologyscience