आज भी मौजूद हैं इस स्थान पर, रावण से जुड़ीं ये खास निशानियां

Edited By Lata,Updated: 06 Feb, 2020 03:34 PM

bairaskund shiv temple

देवभूमि उत्तराखण्ड जहां चार धाम यात्रा के रूप में जानी जाती है तो वहीं यहां अनेक ऐसे पौराणिक मंदिर स्थापित है,

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देवभूमि उत्तराखण्ड जहां चार धाम यात्रा के रूप में जानी जाती है तो वहीं यहां अनेक ऐसे पौराणिक मंदिर स्थापित है, जिनके बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। उन मंदिरों का रहस्य इतना पुराना होता है कि उसके बारे में पता लगाना हर किसी के लिए मुश्किल होता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहां रावण से जुड़ी कुछ निशानियां मौजूद हैं। आइए जानते हैं उस दिव्य स्थआन के बारे में- 
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उत्तराखंड के गोपेश्वर में दशोली गढ़ के वैरासकुंड में एक ऐसा स्थान है जहां रावण ने तप किया था। जी हां, ये वहीं स्थान है जहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने तप कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। स्कंद पुराण में भी केदार खंड में दसमोलेश्वर के नाम से वैरासकुंड क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। वैरासकुंड में जिस स्थान पर रावण ने शिव की तपस्या की वह कुंड, यज्ञशाला और शिव मंदिर आज भी यहां विद्यमान है। 
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इस स्थान के बारे में मान्यता है कि त्रेता युग में इसी स्थान पर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न कर सिद्धी प्राप्ति के लिए अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। रावण जैसे ही यज्ञकुंड में अपने दसवें सिर की आहुति देने लगा, तभी भगवान शिव प्रकट हो गए और रावण को सिर की आहुति देने से रोक लिया। वहां के स्थानिय लोगों का कहना है कि यहां पौराणिक और पुरातत्व महत्व की अनेक चीजें आज भी विद्यमान हैं। कुछ समय पहले यहां खेत में खुदाई के दौरान एक अन्य कुंड मिला, जबकि आस-पास खुदाई करने पर प्राचीन पत्थर निकलते हैं। 

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