Dharmik Sthal: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है देवी का ये प्राचीन शक्तिपीठ

Edited By Jyoti,Updated: 12 Oct, 2021 06:23 PM

balochistan hinglaj mata

रायसेन जिले के बाड़ी तहसील में मां हिंगलाज देवी का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यहां आने वाले तमाम भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। मां हिंगलाज देवी का ये मंदिर पूरे भारतवर्ष में केबल

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रायसेन जिले के बाड़ी तहसील में मां हिंगलाज देवी का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यहां आने वाले तमाम भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। मां हिंगलाज देवी का ये मंदिर पूरे भारतवर्ष में केबल रायसेन जिले के बाड़ी में है, जिसे देश के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर से जुड़े इतिहास के अनुसार लगभग 500 वर्ष पूर्व यहां के संत भगवान दास जी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मां हिंगलाज देवी के दर्शन करने जा रहे थे तब एक रात रास्ते में उन्हें सपना आया जिसमें देवी मां ने उन्हें कहा कि मुझे यहां से ले जाकर बाड़ी में स्थित हिंगलाज देवी की स्थापित कर दो। तब महात्मा भगवान दास जी ने मां को यहां लाकर स्थापित किया था। ऐसा कहा जाता है तब से लेकर आज तक मां भक्तों की हर पीड़ा को हरती जा रही है।

इसके अलावा प्रचलित किंवदंति के अनुसार एक बार भोपाल नवाब की बेगम सिकंदरा को उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने बताया कि बाड़ी के पास हिंगलाज देवी का स्थान है, जहां के संत भगवान दास अपने आपको मां का परम भक्त बताते है। तब बेगम सिकंदरा ने संत भगवान दास की और हिंगलाज देवी मां की परीक्षा लेनी चाही थी और उन्होंने एक बार मांस के टुकड़ों को थाल में सजाकर मां के दरबार में भोग लगाने भेजा, लेकिन संत महाराज ने करीब 200 मीटर पहले ही अपने शिष्यों को बोला कि यह जल थाल पर छिड़क देना और कहना कि प्रसाद चढ़ गया है और यह थाल बेगम सिकंदरा के सामने ही खोलना।

भोपाल नवाब के सिपाही जब बेगम सिकंदरा के पास पहुंचे और उन्होंने ने उस थाल को खोला तो, देखा की मां ने साक्षात मांस के टुकड़ों को प्रसाद में बदल दिया है इसके बाद बेगम सिकंदरा ने अपनी गलती मानी थी और भोपाल से बाड़ी के हिंगलाज मंदिर तक की पद यात्रा की और इसके बाद ही करीब 100 एकड़ जमीन मंदिर समिति को दान में दी थी। वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि करीब 500 साल पुराने इस मंदिर में सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, दूर-दूर से भक्त यहां आते है और कहते हैं, इस मंदिर में आकर मां हिंगलाज से जो भी मांगों वह मिल जाता है। तो वहीं मंदिर के शास्त्री जी कहते हैं कि यहां खाकी अखाड़े का अलग महत्व है, खाकी अखाड़े के संत भगवान दास जी मां हिंगलाज को बाड़ी स्थित लेकर आए थे, तब से लेकर आज तक लोग लोग दूर से दूर से यहां मां हिंगलाज के दर्शनों को आते हैं।  

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