इस देवी मंदिर में स्तंभों से निकलते हैं संगीत के सातों स्वर, होता है अक्षराभिषेक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Mar, 2018 12:43 PM

basar saraswat temple where a pillar produces music

विश्वभर में अनकों देवी मंदिर हैं जिन्हें बहुत प्रसिद्ध प्राप्त है। उन्हीं में से एक आंध्र प्रदेश के बासर गांव में हैं। यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है। गोदावरी के तट पर स्थित ज्ञान की देवी का यह मंदिर अपनी कुछ विचित्र बातों को लेकर बेहद प्रसिद्ध...

विश्वभर में अनेकों देवी मंदिर हैं जिन्हें बहुत प्रसिद्धि प्राप्त है। उन्हीं में से एक आंध्र प्रदेश के बासर गांव में हैं। यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है। गोदावरी के तट पर स्थित ज्ञान की देवी का यह मंदिर अपनी कुछ विचित्र बातों को लेकर बेहद प्रसिद्ध है। मान्यता अनुसार महाभारत ग्रंथ के रचयिता ऋषि कृष्ण द्वेपायन वेदव्यास मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए अपने मुनियों के साथ उत्तर भारत की तीर्थ यात्रा पर पहुंचे थे। गोदावरी के तट पर बसे बासर गांव की खूबसूरती को देखकर वे कुछ देर यहीं विश्राम करने के लिए ठहर गए और यहीम उन्हें अपने ज्ञान की अनुभूति हुई। 

PunjabKesari
 

पौराणिक इतिहास
मान्यता अनुसार यहां मां सरस्वती के मंदिर से थोड़ी दूर स्थित दत्त मंदिर है जहां से होते हुए गोदावरी नदी तक एक सुरंघ जाया करती थी, इसी सुरंग की मदद से उस समय के राजा-महाराजा मां के पूजन के लिए यहां जाया करते थे। कथाओं के अनुसार वाल्मीकि ऋषि ने यहां आकर देवी सरस्वती से उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था और उसी के पश्चात यहीं रामायण के लेखन की शुरुआत की थी।

PunjabKesari

देवी सरस्वती, वेद माता के नाम से विख्यात हैं, चारों वेद इन्हीं के स्वरूप माने जाते हैं, उन्हीं के प्रेरणा से उन्होंने वेदों की रचना की हैं। कहते हैं कि महाकवि कालिदास, वरदराजाचार्य, वोपदेव आदि मंद बुद्धि के लोग सरस्वती उपासना के सहारे उच्च कोटि के विद्वान बने थे।

PunjabKesari

खासियत 
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां केंद्रीय प्रतिमा सरस्वती जी की स्थापित है, और इतना ही नहीं यहां लक्ष्मी जी भी विराजमान हैं। इस मंदिर में सरस्वती जी की बहुत ही भव्य प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है और इसकी ऊंचाई 4 फुट है। इस मंदिर की सबसे खास बात जो सभी भक्तों का अपने ओर खींचती है वह यह है कि मंदिर के एक स्तंभ से संगीत के सातों स्वर सुने जा सकते हैं आप अगर ध्यान से कान लगाकर सुनेंगे तो आपको ध्वनि साफ सुने देगी। यहां की धार्मिक रीती भी प्रचलित है जिसे अक्षरआराधना कहा जाता है। अक्षरआराधना में बच्चों को विद्या अध्ययन प्रारंभ कराने से पहले अक्षराभिषेक कराने यहां लाया जाता है यानी बच्चे के जीवन के पहले अक्षर यहां लिखवाए जाते हैं। इसके बाद प्रसाद के रूप में हल्दी का लेप बांटा जाता है।

 

PunjabKesari

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!