Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Jul, 2020 07:54 AM
निरोगी और खूबसूरत काया के लिए अवश्यक है प्रतिदिन स्नान करना। स्नान करते समय यदि कुछ बातों को जहन में रखा जाए तो निरोगी और खूबसूरत काया के साथ- साथ बहुत से शुभ फलों की प्राप्ति
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
निरोगी और खूबसूरत काया के लिए अवश्यक है प्रतिदिन स्नान करना। स्नान करते समय यदि कुछ बातों को जहन में रखा जाए तो निरोगी और खूबसूरत काया के साथ- साथ बहुत से शुभ फलों की प्राप्ति भी की जा सकती है जैसे लक्ष्मी कृपा, कुशाग्र बुद्धि और चमकती दमकती त्वचा। सुबह सवेरे सूर्य उदय से पूर्व तारों की छाया में नहाने से अलक्ष्मी, परेशानियों और बुरी शक्तियों से मुक्ति पाई जा सकती है। स्नान करते समय गुरू मंत्र, स्तोत्र, कीर्तन, भजन या भगवान के नाम का जाप करें ऐसा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।
आज के बदलते परिवेश में लोग खा पीकर स्नान करते हैं जो कि शास्त्रों के अनुरूप नहीं है। स्नान की एक विशेष विधि है। सर्वप्रथम स्नान करते समय सिर पर पानी डालें बाद में पूरे शरीर पर। इसके पीछे अध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। ऐसे नहाने से सिर और शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों के माध्यम से निकल जाती है।
त्वचा की सफाई का काम स्नान ही करता है। योग और आयुर्वेद में स्नान के प्रकार और फायदे बताए गए हैं। बहुद देर तक और अच्छे से स्नान करने से जहां थकान और तनाव घटता है वहीं यह मन को प्रसन्न कर स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायी सिद्ध होता है।
ज्योतिष के अनुसार प्रतिदिन काले तिल मिला कर नहाना एक प्राचीन उपाय है जिसे करने वाले व्यक्ति का भाग्य प्रबल होता है, दरिद्रता उसे कोसो दूर भागती है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
प्रातःकाल किया गया स्नान असीम सुख देने वाला माना गया है। रात्रि को सोते वक्त कुछ लोगों के मुंह से निरंतर लार टपकती रहती है, जिससे पूरा शरीर अशुद्ध हो जाता है। ऐसी लोगों को प्रातकाल: उठते ही स्नान कर लेना चाहिए।
4 प्रकार के होते हैं स्नान
ब्रह्म स्नान: जो लोग सुबह लगभग 4-5 बजे भगवान का नाम लेते हुए स्नान करते हैं उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने से जीवन में सुख व खुशियों का समावेश होता है।
देव स्नान: सूर्योदय के उपरांत स्नान करने वाले विभिन्न नदियों के नामों का जाप करें ऐसा स्नान देव स्नान कहलाता है। ऐसे स्नान से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
दानव स्नान: चाय अथवा भोजन करने के उपरांत स्नान करने को दानव स्नान कहा जाता है। जिससे की जीवन में घोर विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।
यौगिक स्नान: योग के माध्यम से अपने इष्ट का चिंतन और ध्यान करते हुए जो स्नान किया जाता है वह यौगिक स्नान कहलाता है। यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा स्नान तीर्थ यात्रा करने के समान होता है।