Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 02:50 PM
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गांवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया। उसने अपने मंत्री को कहा कि पता करो कि इस गांव में कौन-सा दर्जी है,
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गांवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया। उसने अपने मंत्री को कहा कि पता करो कि इस गांव में कौन-सा दर्जी है, जो मेरे कुर्ते का बटन लगा दे। मंत्री ने पता किया, उस गांव में सिर्फ एक ही दर्जी था।
उसको राजा के सामने लाया गया। राजा ने पूछा कि क्या तुम मेरे कुर्ते का बटन टांक सकते हो। दर्जी ने कहा, ‘‘यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है।’’
उसने मंत्री से बटन ले लिया और उसी रंग के धागे से राजा के कुर्ते का बटन टांक दिया।
टूटा हुआ बटन राजा के पास था, इसलिए दर्जी को महज अपने धागे का इस्तेमाल करना था। राजा ने दर्जी से पूछा कि कितने पैसे दूं। दर्जी ने सोचा कि बटन भी राजा के पास था, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया है। उसने कहा, ‘‘महाराज रहने दीजिए। छोटा-सा काम था।’’
राजा ने फिर दर्जी को कहा, ‘‘बोलो कितनी माया दूं।’’
दर्जी ने सोचा कि 2 रुपए मांग लेता हूं। फिर मन में सोचा कि कहीं राजा यह न सोचे कि यह बटन टांकने के बदले में मुझसे 2 रुपए ले रहा है तो गांव वालों से कितना लेता होगा। उस जमाने में 2 रुपए की कीमत बहुत होती थी। दर्जी ने राजा से कहा, ‘‘महाराज जो भी आपको उचित लगे, वह दे दें।’’
अब था तो राजा ही, उसने अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी पोजीशन खराब नहीं हो जाए, इसलिए उसने अपने मंत्री से कहा, ‘‘इस दर्जी को 2 गांव दे दो। यह हमारा हुक्म है।’’
कहां दर्जी सिर्फ 2 रुपए की मांग कर रहा था और कहां राजा ने उसको 2 गांव दे दिए। ऐसा ही कुछ हमारे साथ होता है। जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ देते हैं तो वह अपने हिसाब से देते हैं। हम सिर्फ मांगने में कमी कर जाते हैं, देने वाला तो पता नहीं कितना देना चाहता है।