खुद पर विश्वास ही है सबसे बड़ी जीत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 10:04 AM

believe in yourself is the biggest victory

दो व्यक्ति गुस्से से भरे थे और एक-दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे थे। उनके आरोप-प्रत्यारोप की भाषा बहुत कड़वी थी। वैसे भी जब आदमी गुस्से में होता है तो अच्छे की पहचान भूल जाता है और बुरे के परिणाम की उसे चिंता नहीं रह जाती।

दो व्यक्ति गुस्से से भरे थे और एक-दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे थे। उनके आरोप-प्रत्यारोप की भाषा बहुत कड़वी थी। वैसे भी जब आदमी गुस्से में होता है तो अच्छे की पहचान भूल जाता है और बुरे के परिणाम की उसे चिंता नहीं रह जाती। आदमी अपने आप में नहीं होता। हैरानी की बात यह थी कि वे दोनों चुगलखोरों के शिकार निकले।

 

अमूमन ऐसा ही होता है कि हम किसी से सुनकर किसी के बारे में तुरंत कोई राय बना लेते हैं। आगे-पीछे के संभावित परिणामों का ख्याल ही नहीं कर पाते। दरअसल ‘आंखों देखी, कानों सुनी’ उक्ति ‘आंखों सुनी, कानों देखी’ में बदल गई है जो टकराव का माहौल बना रही है। अगर हम अपने विवेक से खुद को देखना और सुनना सीख जाएं तो हमें कोई बरगला ही नहीं सकता है। खुद पर विश्वास कायम करना दुनिया को जीतने से बड़ा काम है।

 

हम जितना पढ़-लिख रहे हैं, उसी अनुपात में ना समझ भी बनते जा रहे हैं। ‘कौआ कान ले गया’ एक प्रचलित कहावत है, जिसका सीधा मतलब है कि आप किसी के कहने पर कौए को देखने लगते हैं, अपना कान नहीं। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया और इंटरनैट ने इसे और भी गति दे दी है। तथ्यपरक वैचारिक बहस की जगह अफवाहपरक शैली का कब्जा हो गया है। जो अपनी बात ऊंची आवाज में रखता है, वह पहलवान मान लिया जाता है। वैचारिक बहस एक स्वस्थ लोकतांत्रिक और व्यावहारिक मूल्य है। यह न केवल खुद को मांजता है, बल्कि नई दृष्टि भी देता है। जहां प्रतिशोध है, वहां नफरत और ईर्ष्या है। जहां सहयोग है, वहां प्रेम, कृतज्ञता और सद्भाव है।

 

यह सबको मालूम है कि गांधीजी और रबींद्रनाथ टैगोर के बीच कई मुद्दों पर काफी वैचारिक विरोध था। वे तर्क के साथ एक-दूसरे को काटते भी थे लेकिन उनमें सम्मान का भाव कभी कम नहीं हुआ। टैगोर के लिए गांधीजी हमेशा ‘महात्मा’ ही बने रहे और गांधीजी के लिए वे ‘गुरुदेव’ से कम नहीं हुए। अगर दोनों सुनी-सुनाई बात पर एक-दूसरे के बारे में राय बना लेते तो वे जो हैं, नहीं बन पाते। अगर इसी दृष्टि को हम अपने जीवन में अपना लें तो पहले दिन से ही बदलाव महसूस करने लगेंगे।
 

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