Edited By Jyoti,Updated: 01 Jul, 2018 12:59 PM
हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को रूद्राक्ष की माला अति प्रिय है। रुद्राक्ष का अर्थात रुद्र+अक्ष, रुद्र यानि भगवान शंकर व अक्ष यानि आंसू। इससे यह साफ पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति भोलेनाथ की आंखों के आंसू से हुई है। मान्यता है की एक समय भगवान...
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हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को रूद्राक्ष की माला अति प्रिय है। रुद्राक्ष का अर्थात रुद्र+अक्ष, रुद्र यानि भगवान शंकर व अक्ष यानि आंसू। इससे यह साफ पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति भोलेनाथ की आंखों के आंसू से हुई है। मान्यता है की एक समय भगवान शंकर ने संसार के उपकार के लिए सहस्र वर्ष तप किया। इसके बाद जब उन्होंने अपने नेत्र खोलें तो उनके नेत्र से आंसू की चन्द बूंदें पृथ्वी पर गिर गई। इन बूंदों ने रुद्राक्ष वृक्ष का रूप धारण किया।
धार्मिक ग्रथों की मानें तो सेहत के लिए रुद्राक्ष धारण करना बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष की माला से जाप करते हैं तो कुछ रुद्राक्ष की माला और रुद्राक्ष की अंगूठी धारण करते हैं।
ज्यादातर लोग धार्मिक स्वरूप को ध्यान में रखकर ही रुद्राक्ष धारण करते हैं। उन्हें ये मालूम नहीं होता कि इसे पहनने से सेहत को भी लाभ पहुंचता है।
रुद्राक्ष धारण करने से कई सारी बड़ी बीमारियों से बचाव रहता है। रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह के फायदे होते हैंं।
रुद्राक्ष पहने से व्यक्ति का ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है।
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में होने के कारण दिल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं होती।
रुद्राक्ष से नर्वस सिस्टम सही रहता है।
रुद्राक्ष पहनने से किडनी रोग दूर हो जाते हैं।
रुद्राक्ष पहनने से शरीर का डायबिटीज लेवल भी कंट्रोल में रहते है।
दो मुखी रुद्राक्ष पहनने से दिमाग, फेफड़े और आंखों से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।
रुद्राक्ष पहनने से सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं और तनाव भी नहीं होता है।
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