Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Aug, 2021 11:13 AM
धारा नगरी के राजा भोज परम धार्मिक, दानी तथा उदार प्रवृत्ति के शासक थे। उन्होंने पूरी तरह से अपने को प्रजा की रक्षा, सेवा तथा प्रेरणा देने के कार्यों के लिए समर्पित किया हुआ था। उन्होंने अपने गुरु के
Best Motivational Story: धारा नगरी के राजा भोज परम धार्मिक, दानी तथा उदार प्रवृत्ति के शासक थे। उन्होंने पूरी तरह से अपने को प्रजा की रक्षा, सेवा तथा प्रेरणा देने के कार्यों के लिए समर्पित किया हुआ था। उन्होंने अपने गुरु के समक्ष संकल्प लिया था कि मृत्यु के उपरांत भी वह अपने शरीर का ऐसा सदुपयोग करेंगे कि लोग उनसे प्रेरणा प्राप्त करते रहेंगे।
राजा भोज का जीवन भगवान की भक्ति, उपासना, गरीबों की सेवा-सहायता तथा धर्मशास्त्रों के अध्ययन में बीतता था। वह संत महात्माओं के आश्रमों में स्वयं पहुंचकर उनका सत्संग कर प्रेरणा प्राप्त करते थे। राज्य में कोई भी उनकी बुराई करने वाला नहीं था।
राजा भोज का अंत समय निकट आया। उन्होंने अपने मंत्री को पास बुलाया तथा कहा, ‘‘जब मेरा शव श्मशान ले जाओ, तो मेरा एक हाथ सफेद रंग से तथा दूसरा काले रंग से रंग देना। अर्थी से दोनों हाथ बाहर निकाल देना, जिससे प्रजा के लोग उन्हें ढंग से देख सकें।’’
मंत्री यह वसीयत सुनकर हतप्रभ रह गया। उसने पूछा, ‘‘राजन आप ऐसा विचित्र दृश्य उपस्थित करने के लिए किसलिए कह रहे हैं? मैं कुछ समझ नहीं पाया।’’
राजा भोज ने कहा, ‘‘दीवान जी, मैं चाहता हूं कि मेरा मृत शरीर भी लोगों को अच्छी प्रेरणा दे। मेरे दोनों खाली हाथ प्रजा को प्रेरणा देंगे कि राजा हो या रंक मरने के बाद सभी खाली हाथ परलोक जाते हैं। अपने साथ कोई कुछ नहीं ले जा सकता। सफेद और काला रंग यह प्रेरणा देंगे कि यदि मरने के बाद साथ कुछ जाता है तो अच्छे और बुरे कर्म ही जाते हैं। मंत्री राजा भोज का मुख देखते रह गए।