Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jan, 2021 10:44 AM
आदि शंकराचार्य अपने शिष्यों के साथ किसी बाजार से गुजर रहे थे। एक व्यक्ति गाय को खींचते हुए ले जा रहा था। शंकराचार्य ने उस व्यक्ति को
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Best Motivational Story: आदि शंकराचार्य अपने शिष्यों के साथ किसी बाजार से गुजर रहे थे। एक व्यक्ति गाय को खींचते हुए ले जा रहा था। शंकराचार्य ने उस व्यक्ति को रोका और अपने शिष्यों से पूछा, ‘‘इनमें से कौन बंधा हुआ है? व्यक्ति गाय से बंधा है, या फिर गाय व्यक्ति से?’’
शिष्यों ने बिना किसी हिचक के कहा, ‘‘गाय व्यक्ति के अधीन है। वह व्यक्ति उस गाय का मालिक है। उसी के हाथ में रस्सी है। वह गाय वहीं जाएगी जहां उसकी रस्सी थामे उसे मालिक ले जाएगा। व्यक्ति मालिक है और गाय उसके अधीन।’’
यह सुनकर शंकराचार्य ने अपने झोले से कैंची निकाली और उस रस्सी को काट दिया। रस्सी काटते ही गाय दौड़ने लगी और गाय को पकड़ने की चेष्टा में व्यक्ति उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगा।
शंकराचार्य बोले, ‘‘देखो क्या हो रहा है, अब बताओ कौन किसके अधीन है?’’
गाय को तो उस मालिक में कोई रुचि ही नहीं है। वह गाय तो उस मालिक से पीछा छुड़ाने में जुटी है। हम सबके साथ यही होता है। चीजें हमसे बंधी नहीं होती, हम उनसे बंधे होते हैं हमारे दिमाग में कितनी भी फालतू बातें एकत्र हैं जिन्हें हमसे कोई मतलब ही नहीं है। वे स्वतंत्र हैं, हम ही उनसे बंधे हुए हैं नतीजा वे हमारी मालिक और हम उनके गुलाम बन चुके हैं हम उन्हें अपने नियंत्रण में रखने का दंभ पाले रखते हैं पर वे हमें बांधे रहती हैं। जैसे ही यह बात समझ में आती है हमारा दिमाग गाय की तरह आजाद होने लगता है। हम स्वयं को स्वतंत्र मुक्त और शांत महसूस करने लगते हैं।