तेजपाल एक शहर में स्टेशनरी और प्रकाशन कम्पनी में रात के समय चौकीदारी का काम करता और दिन में पढ़ाई करता। उसकी मेहनत और ईमानदारी को देख कर कम्पनी का मालिक प्रमोद खुश था।
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Inspirational Story: तेजपाल एक शहर में स्टेशनरी और प्रकाशन कम्पनी में रात के समय चौकीदारी का काम करता और दिन में पढ़ाई करता। उसकी मेहनत और ईमानदारी को देख कर कम्पनी का मालिक प्रमोद खुश था। एक दिन उसे चोरी के इलजाम में किसी ने फंसा दिया। मामला पुलिस चौकी में चला गया।

थानेदार ने तेजपाल से पूछा, ‘‘क्या तूने चोरी की है?’’
‘‘नहीं साहब, मैं एक गरीब परिवार से हूं और पैसे कमाकर पढ़ने वाला विद्यार्थी हूं। मैं चोरी क्यों करूंगा। मेरा यकीन कीजिए, मैं ईमानदार हूं।’’
तेजपाल ने सहमे हुए कह दिया। ‘‘यहां सब ईमानदार आते हैं, बदमाश थोड़े आएंगे। जल्दी बतलाओ तुमने क्या-क्या चुराया है।’’
थानेदार ने गुस्से में कहा। ‘‘साहब मैंने कोई चोरी नहीं की है। मैं सच में कह रहा हूं।’’

यह कहते हुए तेजपाल रोने लग पड़ा। थानेदार ने तेजपाल को देखा और कम्पनी के मालिक प्रमोद को कहा, ‘‘इसने क्या चुराया है, उन सभी चीजों की लिस्ट यहां दो।’’
साथ में दिन और रात में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के घरों की तलाशी का आदेश दिया। थानेदार की मेहनत रंग लाई और दिन में काम करने वाले दो कर्मचारियों के घरों से सामान बरामद कर लिया गया। तेजपाल निर्दोष साबित हुआ।
प्रमोद ने तेजपाल को कम्पनी के व्यवस्थापक का पद सौंप दिया। तेजपाल को ईमानदारी का फल मिल गया और उसकी आंखों में खुशी के आंसू झलक आए और वह उसी दिन से अपने कार्य में लग गया।

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