Inspirational Story- अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करने वाले पढ़ें ये कहानी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jan, 2022 11:56 AM

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मयंक और आदित्य पड़ोसी थे। दोनों हम उम्र थे और साथ खेलते थे। पहली कक्षा से वो दोनों साथ पढ़ रहे थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ाई करते थे। मयंक अपने पिता की इकलौती संतान था वहीं आदित्य के एक छोटी बहन थी निशा।

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Inspirational Story- मयंक और आदित्य पड़ोसी थे। दोनों हम उम्र थे और साथ खेलते थे। पहली कक्षा से वो दोनों साथ पढ़ रहे थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ाई करते थे। मयंक अपने पिता की इकलौती संतान था वहीं आदित्य के एक छोटी बहन थी निशा।

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आदित्य कक्षा 8 में पढ़ता और निशा कक्षा 5 में। आदित्य के पिता बहुत अधिक पैसे वाले नहीं थे। वे सरकारी विभाग में अकाऊंटैंट थे और मम्मी टीचर थी। वहीं मयंक के पापा बिजनैसमैन हैं घर पर एक से बढ़कर एक सुविधा मौजूद थी।

तीन नौकर पूरे दिन घर के काम करते और मयंक की मम्मी हाई बिजनैस क्लास सोसायटी में बहुत से क्लब और किट्टी पार्टी की मैम्बर थी। आदित्य जहां हंसमुख, चंचल था वहीं मयंक बहुत बातचीत करता था। यूं आदित्य पढ़ने में होशियार था दोस्तों की मदद भी करता पर मस्तीखोर भी कम नहीं था।

घर पर छोटी बहन के साथ धमाचौकड़ी मचाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ता। कभी-कभी मम्मी गुस्सा हो जाती और नाराज होकर कहती, ‘‘तू मयंक जैसा क्यों नहीं है, देख मयंक कितना सीधा शांत बच्चा है, कभी कोई शरारत नहीं करता और एक यहां तुम पूरा घर सिर पर उठा लेते हो।’’

आदित्य थोड़ी देर खामोशी से सुनता रहा और फिर वापस निशा के साथ मस्ती में लग गया। मयंक की मम्मी जब भी आदित्य की मम्मी से मिलती, बस अपने बेटे मयंक की तारीफों के पुल बांधती रहती, इससे आदित्य की मम्मी को और भी बुरा लगता।

एक दिन जब आदित्य स्कूल से लौटा तो मम्मी को बताया, ‘‘मम्मी हमारा एक टूर जा रहा है जिसमें मुझे भी जाना है, 3 दिन का टूर है, हजार रुपए फीस है। आप पापा से आज ही बात कर लो, मुझे जाना है।’’

मम्मी बोली, ‘‘ठीक है बेटे। मैं शाम को तेरे पापा से बात करती हूं।’’

जब शाम को आदित्य की मम्मी ने पापा से बात की तो पापा ने साफ मना कर दिया। वे बोले, ‘‘टूर उसके लिए जरूरी नहीं है फिर अभी इतने रुपए खर्च करना बेवकूफी होगी।’’

अगले दिन आदित्य ने मम्मी से पैसे मांगे, मम्मी ने उसे समझाया, ‘‘बेटा, ये टूर बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है और फिर हमारी आर्थिक स्थिति बुरी तो नहीं है परंतु हमें पैसे सोच-समझ कर ही खर्च करने चाहिएं बेटा।’’

मगर आदित्य जिद्द पर अड़ गया। मुझे पैसे दीजिए, ‘आदित्य लगभग पैर पटकता हुआ बोला।’’ उसकी जिद्द के आगे मम्मी हार गई और पापा से फोन पर बात करके उसे पैसे दे दिए।

हुआ यह था कि आदित्य की दोस्त की तबीयत खराब थी और दवाई के पैसे नहीं थे। उसका दोस्त गरीब था उसने पापा से मदद मांगी मगर पापा ने मना कर दिया। तभी टूर का अनाऊंसमैंट हुआ तो आदित्य को यह तरकीब सूझी।

वो दो दिन अपने दोस्त के पास रह कर उसकी तीमारदारी करता रहा। दो दिन बाद जब वह घर आया, बाहर ही मयंक की मम्मी और उसकी मम्मी मिल गईं। उसको देखते ही मयंक की मम्मी बोली ‘‘भाभी जी आपने आदित्य को कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है।’’

मयंक ने भी मुझे टूर पर जाने के लिए पूछा था मगर मेरे मना करने पर तुरंत मान गया कितना समझदार है मेरा बेटा। और भगवान जाने यह टूर पर गया भी या नहीं। आदित्य की मम्मी को विश्वास नहीं हुआ। क्या आदित्य पैसों के लिए उनके साथ विश्वासघात कर सकता है।

घर आते ही आदित्य की मम्मी बोली, ‘‘आदित्य मुझसे झूठ मत बोलना, सच-सच बताओ क्या तुम टूर पर गए थे? आदित्य दो पल के लिए कुछ नहीं बोला। फिर धीरे से बोला, ‘‘मम्मी सारी मैं टूर पर नहीं गया था, मेरा दोस्त बीमार है और उसको पैसों की जरूरत थी और उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था।’’

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इसलिए मैं दो दिन अपने दोस्त के साथ अस्पताल में ही था। आपको विश्वास नहीं हो तो चलिए अस्पताल चलते हैं।

उसकी मम्मी फौरन उसके साथ अस्पताल पहुंची। एक वार्ड में उसका दोस्त पलंग पर लेटा हुआ था और सिरहाने के पास उसकी मम्मी बैठी हुई थी। आदित्य और उसकी मम्मी को देख कर वह खड़ी हो गई। उसी ने आदित्य की मम्मी को बताया कि आज मेरा बेटा सिर्फ आदित्य की वजह से ठीक हुआ है। वो पूरे समय आदित्य को आशीर्वाद दिए जा रही थी।

उसने उसके बेटे के ठीक होने का सारा श्रेय आदित्य को ही दिया और बोली, ‘‘आप किस्मत वाले हैं जो आदित्य जैसा प्यारा बच्चा आपका बेटा है। आपका बेटा किसी फरिश्ते  से कम नहीं,’’ यह कहते-कहते उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

आदित्य की मम्मी ने उसे गले से लगा लिया। घर जाकर आदित्य मम्मी से बोला, ‘‘मम्मी आप चाहते हो न कि मैं मयंक जैसा बनूं। मैं जानता हूं आपको मयंक पसंद है, अब मैं आपको ज्यादा परेशान नहीं करूंगा। मैं मयंक के जैसा बनने की पूरी कोशिश करूंगा।’’ इस पर मम्मी कुछ न बोल सकी।

कुछ दिनों बाद परीक्षा परिणाम आया, आदित्य ने 9वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी और मयंक फेल हो गया था। स्कूल में टीचर आदित्य की मम्मी से मिली तो वह बोली हमें आदित्य जैसे होनहार बच्चे पर गर्व है।
आप सच में किस्मत वाली हैं कि आदित्य आपका बेटा है। तभी वहां मयंक की मम्मी आ पहुंची, सभी के सामने टीचर ने मयंक की कारस्तानियां उसकी मम्मी को बताईं और तो और मयंक कक्षा में नकल भी कर रहा था और वह नकल करते पकड़ा गया था।

मयंक की मम्मी की नजरें झुक गईं। वह कुछ नहीं बोली। अगले दिन मम्मी का जन्मदिन था। आदित्य ने सुबह उठते ही मम्मी के पैर छुए और उनको बर्थ-डे विश किया।

तभी मम्मी बोली, ‘‘आदित्य तुमने मुझे बर्थ डे गिफ्ट नहीं दिया। इस पर आदित्य बोला, ‘‘मम्मी आप ही बताओ, आपको क्या बर्थ डे गिफ्ट चाहिए।’’

मम्मी बोली, ‘‘मुझे माफ कर दे बेटा, मैंने तेरी तुलना मयंक से की। मुझे अपना बच्चा किसी के भी जैसा नहीं चाहिए, मुझे मेरा बच्चा ही चाहिए जो सबकी मदद करता है, समझदार है और शैतान भी। प्लीज मुझे माफ कर दे बेटा।’’ मम्मी की आंखों में आंसू थे।

आदित्य मम्मी के गले लगकर रोने लगा। मम्मी अब समझ चुकी थी कि हर बच्चा अपने आप में विशेष होता है किसी एक बच्चे की दूसरे बच्चे के साथ तुलना कैसे की जा सकती है।

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