Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 May, 2022 08:31 AM
देवी काली के अनेक रूपों में से एक प्रख्यात रूप देवी भद्रकाली का प्राकट्य दिवस ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि जिसे की अपरा एकादशी या अचला एकादशी भी कहा जाता है को मनाया
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Bhadrakali Ekadashi: देवी काली के अनेक रूपों में से एक प्रख्यात रूप देवी भद्रकाली का प्राकट्य दिवस ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि जिसे की अपरा एकादशी या अचला एकादशी भी कहा जाता है को मनाया जाता है। वैसे तो मां काली के अनेक रूप हैं जैसे कि दक्षिणा काली, श्मशान काली, मातृ काली, महाकाली, श्यामा काली, गुह्य काली, अष्टक काली और भद्रकाली आदि। इन सभी रूपों में से देवी भद्रकाली का रूप सौम्य भक्त वत्सल माना जाता है। पुराणों व शास्त्रों के अनुसार मां भगवती का भद्रकाली रूप दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने के लिए भगवान शिव की जटाओं से निकला था। भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है अच्छी अथवा सौम्य काली। देवी के प्राकट्य दिवस पर भक्तजन विशेष प्रकार से भद्रकाली पूजन करते हैं। दक्षिण में व हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में देवी भद्रकाली का विशेष रूप से पूजन किया जाता है। उनकी पूजा करने से समस्त प्रकार के दुख, भूत-प्रेत बाधा दूर होती है एवं हर मनोकामना पूर्ण होती है।
मंत्र: ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए आज के दिन साधक काले रंग के वस्त्र देवी को अर्पण करता है तो उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही लाल रंग का श्रृंगार देने से स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
आज के दिन मीठा भोजन व सरसों के तेल का बना भोजन गरीबों को खिलाने व ब्राह्मणों को भोज कराने से घर में सुख-समृद्धि आती है। आपके जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
आज के दिन पश्चिम मुखी होकर देवी काली का ध्यान करें और संध्या के समय सरसों के तेल का एक दीपक पश्चिम की दिशा में जला कर रख दें। उसके पास ही कुछ मिठाई रखकर अपनी मनोकामना सिद्धि की प्रार्थना करें।
आज के दिन देवी को हल्दी कुंकू, चंदन और चावल,गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगा कर उनका पूजन करें,
मां भद्रकाली भरेंगी आपकी खाली झोली।
नीलम
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