भैया दूज: घर की दहलीज पर करें ये उपाय, सुखमय जीवन व्यतीत करेगा भाई

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Oct, 2017 01:27 PM

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भाई-बहन के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का प्रतीक त्यौहार भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को दीपावली के बाद पूरे देश में आदिकाल से मनाया जाता है।  पंच पर्व महोत्सव दीवाली का पांचवां पर्व भैया दूज है जिसे

भाई-बहन के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का प्रतीक त्यौहार भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को दीपावली के बाद पूरे देश में आदिकाल से मनाया जाता है।  पंच पर्व महोत्सव दीवाली का पांचवां पर्व भैया दूज है जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनके उज्ज्वल भविष्य व उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। भैया दूज वाले दिन आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर भाई को बिठाकर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं। सबसे पहले बहन अपने भाई के हाथों पर चावलों का घोल लगाती है। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोलती है-


‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’ 


इसके उपरांत बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधती है तथा भाई के मुंह मिठाई, मिश्री माखन लगाती हैं। वह उसकी लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है। उसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जला कर घर की दहलीज के बाहर रखती है जिससे उसके घर में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा न आए और वह सुखमय जीवन व्यतीत करे।

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