भैरव अष्टमी 10 नवंबर: करें चमत्कारी उपाय, नहीं सताएगा राहू एवं शनि का भय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 09:55 AM

bhairav ashtami november 10 do miraculous measures

10 नवंबर शुक्रवार को श्री महाकाल भैरव अष्टमी, श्री महाकाल भैरव जी की जयंती (भैरव जी की उत्पत्ति), काल अष्टमी (भैरव अष्टमी) का पर्व मनाया जाएगा। भैरव जी का जन्म मध्याह्न काल में हुआ, इसलिए यह पर्व मध्याह्न व्यापिनी अष्टमी का ही लेना चाहिए। इस दिन...

10 नवंबर शुक्रवार को श्री महाकाल भैरव अष्टमी, श्री महाकाल भैरव जी की जयंती (भैरव जी की उत्पत्ति), काल अष्टमी (भैरव अष्टमी) का पर्व मनाया जाएगा। भैरव जी का जन्म मध्याह्न काल में हुआ, इसलिए यह पर्व मध्याह्न व्यापिनी अष्टमी का ही लेना चाहिए। इस दिन व्रत रख कर जल, अर्घ्य, पुष्प, तेल के बने मीठे मिष्ठान इत्यादि से भैरव बाबा की पूजा का विधान है। व्रत रखने वाले को रात्रि में जागरण कर शिव-पार्वती जी की कथा का पठन एवं श्रवण आवश्यक है। दंडप्रदाता औघड़ बाबा भैरव का वाहन श्वान है। भैरव जी का मुख्य शस्त्र दंड है इसीलिए शिव के इस रूप को दंडपति औघड़ बाबा भैरव कहा जाता है। 


भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंदिर में जाकर उनके वाहन श्वान सहित पूजा-अर्चना करते समय ॐ भैरवाय नम:’ कहते हुए उनका जप करना कल्याणकारी होता है। घर में सुख-शांति-समृद्धि आती है। उनके वाहन को जलेबी अथवा गुड़ एवं आटे से बने मीठे गुलगुले अथवा मीठी रोटी डालने से औघड़ बाबा भैरव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। साधारण दिनों में भी राहू ग्रह की क्रूरता शांति के लिए यह दान शनिवार को करने से हर प्रकार से शांति मिलती है।


इस दिन उड़द की दाल की पीठी के भल्ले (बड़े) सरसों के तेल में तल कर, उनको दही में डुबोकर उनके ऊपर केसरी सिंदूर लगाकर भैरव जी के मंदिर में अथवा पीपल के नीचे रख कर प्रार्थना करनी चाहिए। इससे बाबा भैरव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। दुष्ट ग्रहों राहू एवं शनि का शमन होता है।
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!