भीमसेनी एकादशी- पाना चाहते हैं महाभारत के भीम जैसा शक्तिशाली पुत्र तो आज ज़रूर करें ये उपाय

Edited By Jyoti,Updated: 13 Jun, 2019 01:06 PM

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज 13 जून, 2019 ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जा रहा है, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कुल 24 एकादशियों का वर्णन किया गया है, जिसमें से निर्जला एकादशी को सबसे...

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज 13 जून, 2019 ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जा रहा है, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कुल 24 एकादशियों का वर्णन किया गया है, जिसमें से निर्जला एकादशी को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन की गई विष्णु भगवान की पूजा व उपाय आदि करने से श्री हरि प्रसन्न होकर हर मनोकामना पूरी करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी एकादशी को महाभारत काल महाबली महाशक्ति शाली योद्धा भीमसेन की प्राप्ति के लिए महारानी कुंती ने व्रत कर विशेष मंत्र का जप किया था, जिससे उसे शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति का वरदान मिला था। तो अअगर आप भी चाहते हैं की आपे घर भी भीम के जैसा शक्तिशाली पुत्र हो तो निर्जला भीमसेनी एकादशी के दिन आगे बताया जाने वाला उपाय ज़रूर करें। 
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24 एकादशियों के व्रत का फल-
एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि निर्जला एकादशी अर्थात पूरे बिना कुछ बिना कुछ पीए यानि पूरा दिन जल के भी बिना रहना होता है। इस कारण ही इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह एक कठिन व्रत होता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से साल की 24 एकादशियों के व्रत का फल स्वतः ही मिल जाता है।
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महाशक्तिशाली संतान पाने के लिए इस मंत्र का जप करें-
निर्जला एकादशी के दिन ग्यारह सौ बार तुलसी या मोती की माला से इस मंत्र का जप करें।
।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

निर्जला और भीमसेनी एकादशी व्रत कथा-
महाभारत काल में महारानी कुंती निर्जला एकादशी का व्रत उपवास पूरे विध-विधान से किया करती थी। उनके मन में एक अति बलशाली पुत्र की कामना थी जिसके चलते उन्होंने भगवान नारायण से प्राप्त निर्देशानुसार इस ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी तिथि को व्रत रखा था और साथ ही  नियमित मंत्र जप भी करने लगी थी। इसी व्रत के परिणाम स्वरूप उन्हें महाबलशाली वीर योद्धा भीम संतान के रूप में प्राप्त हुए। इसके बाद से ही शक्तिशाली संतान की कामना से इस दिन उपवास रखकर मंत्र का जप किया जाने लगा।
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