Kundli Tv- एेसे हुआ था ग्रहों के राजा सूर्य देव का जन्म

Edited By Jyoti,Updated: 24 Nov, 2018 04:34 PM

birth story of surya dev

इतना तो सभी जानते ही हैं कि शास्त्रों में सूर्य देव और चंद्र देव दोनों को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। कहा जाता है कि ये दो एेसे देव हैं जो इस समस्त जगत तो प्रकाशमान करने के लिए हर समय साक्षात उपस्थित रहते हैं।

इतना तो सभी जानते ही हैं कि शास्त्रों में सूर्य देव और चंद्र देव दोनों को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। कहा जाता है कि ये दो एेसे देव हैं जो इस समस्त जगत तो प्रकाशमान करने के लिए हर समय साक्षात उपस्थित रहते हैं। सूर्य देव के बारे में तो ये भी कहा भी जाता है कि इन्हें रोज़ाना जल चढ़ाने या अर्घ्य देने वाला व्यक्ति आरोग्य को प्राप्त होता है और दीर्घायु होकर इस संसार के समस्त सुखों को भोगता है। हिंदू धर्म के महाग्रंथों और वेदों आदि में कई जगह सूर्य की स्तुति की गई है। शायद यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का नवग्रहों में सर्वोच्च स्थान है और उन्हें सभी ग्रहों का राजा बताया गया है।

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एक पौराणिक कथा के अऩुसार
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के विस्तार के लिए ब्रह्माजी ने दाएं अंगूठे से दक्ष और बाएं अंगूठे से उनकी पत्नी को उत्पन्न किया। दक्ष के 13 कन्याएं हुईं। दक्ष की तेरहवीं कन्या का विवाह ब्रह्माजी के पुत्र मारीचि से हुआ। मारीचि से कश्यप उत्पन्न हुए। जो सप्त ऋषियों में से एक हुए।


कश्यप का विवाह अदिति से हुआ। कश्यप और अदिति से उत्पन्न सभी पुत्र देवता कहलाए। कश्यप की दूसरी पत्नी दिति से दानव उत्पन्न हुए। दानव सदैव देवताओं से लड़ते रहते थे।

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एक बार दैत्य-दानवों ने देवताओं को भयंकर युद्ध में हरा दिया। देवताओं पर भारी संकट आन पड़ा। देवताओं की हार से देवमाता अदिति बहुत दुखी हुईं। देवताओं के कल्याण के लिए वह सूर्यदेव की उपासना करने लगीं। उनकी तपस्या से सूर्यदेव प्रसन्न हुए और पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। कुछ समय पश्चात उन्हें गर्भधारण हुआ। गर्भ धारण करने के पश्चात भी अदिति कठोर उपवास रखती जिस कारण उनका स्वास्थ्य काफी दुर्बल रहने लगा।

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महर्षि कश्यप इससे बहुत चिंतित हुए और उन्हें समझाने का प्रयास किया कि संतान के लिए उनका ऐसा करना ठीक नहीं है। लेकिन अदिति ने उन्हें समझाया कि हमारी संतान को कुछ नहीं होगा ये स्वयं सूर्य स्वरूप हैं। समय आने पर उनके गर्भ से एक अंड उत्पन्न हुआ जिससे एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया और वह मर्तण्ड कहलाए। मार्तण्ड सूर्य के कई नामों में से एक है। यह देवताओं के नायक बने व असुरों का संहार कर देवताओं की रक्षा की। 

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