ये रत्न पहनोगे तो फरिश्तों का होगा आप पर पहरा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 May, 2018 12:07 PM

blue gems will be protect you

नीलम एक ऐसा कीमती रत्न (पत्थर) है जो रंक को राजा और राजा को रंक बनाने की अद्भुत क्षमता से ओतप्रोत है। यह रत्न आपदाओं के लगातार प्रहार से तार-तार हुए लोगों की जिंदगी में नई रोशनी लाकर उनकी तमाम विपत्तियों व असफलताओं को सुख-समृद्धि एवं सफलता में बदल...

PunjabKesariनीलम एक ऐसा कीमती रत्न (पत्थर) है जो रंक को राजा और राजा को रंक बनाने की अद्भुत क्षमता से ओतप्रोत है। यह रत्न आपदाओं के लगातार प्रहार से तार-तार हुए लोगों की जिंदगी में नई रोशनी लाकर उनकी तमाम विपत्तियों व असफलताओं को सुख-समृद्धि एवं सफलता में बदल देता है।

PunjabKesari
रत्न शास्त्रों के अनुसार नीलम धारण करने वालों के शरीर की सुरक्षा आसमान के देवी-देवता एवं फरिश्ते भी करते हैं। माणिक एवं हीरे रत्नों के राजा कहलाते हैं। उनके बाद यदि कोई दूसरा रत्नों का उप-राजा कहलाने का अधिकारी है तो वह नीलम ही है। नीलम को संस्कृत में इन्द्रजीत मणि, फारसी  में नीलाबिल, याकूत और अंग्रेजी में सेफायर दुरग्यूज के नाम से जाना जाता है। हिन्दू और मुस्लिम दोनों के ही धर्मग्रन्थों में इस रत्न की महिमा का गुणगान किया गया है। यूनानी लोग नीलम को अपने देवी-देवताओं को भेंट चढ़ाया करते थे।

PunjabKesari
यह रत्न महानदी, हिमालय, जम्मू-कश्मीर, श्रीलंका, थाईलैंड, बर्मा, बैंकाक, आस्टे्रलिया, रोडेशिया, मोनटाना, जावा और ब्रह्मपुत्र में पाया जाता है। चिकना, चमकदार, साफ रंग वाला नीलम उत्तम माना जाता है। दूध के बीच असली नीलम रख़ने से दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। शनिवार के दिन मध्यान्ह काल में नीलम को दूध युक्त जल से धोकर चन्दन, अक्षत आदि से पूजा करके धारण करने पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव दूर होता है। अगर इसके धारण करने पर बुरा स्वप्न आता हो या किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घट जाए तो इसे धारण नहीं करना चाहिए। अगर पहनने पर शुभ सिद्ध हो तो यह अपार सम्पत्ति दिलाने वाला होता है। रोग, दोष, दु:ख, दरिद्रता आदि नष्ट होकर धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति, बल-बुद्धि, यश-आयु एवं कुल सन्तान की वृद्धि होती है। नष्ट हुआ धन वापस मिलता है तथा मुख की आकृति एवं नेत्र-ज्योति की वृद्धि होती है।PunjabKesari

4.08 या 10 रत्ती का नीलम चांदी की अंगूठी में मढ़वाकर शनिवार के दिन दाहिने हाथ की उंगली में धारण करना चाहिए। नीलम धारण करने से पूर्व अच्छे जानकार से उसके विषय में जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। नीलम में 8 प्रकार के दोष पाए जाते हैं-

सफेद डोरिया वाला नीलम नेत्र में चोट तथा शरीर में पीड़ा देने वाला होता है।

दूधक नीलम के धारण करने से दरिद्रता आती है।

चीरधाला वाला नीलम शरीर में शस्त्रघात और अपघात कराने वाला होता है।

दुरंगा नीलम शत्रु भय उत्पन्न करता है।

जालयुक्त नीलम शरीर में रोग वृद्धि करता है।

गड्ढा युक्त नीलम फोड़ा-फुंसी या अन्य चर्मरोग कारक होता है।

सुन्न नीलम प्रियजनों से वियोग कराने वाला होता है। 

सफेद, काला, लाल या मधु बिन्दुयुक्त नीलम दुर्बलता लाता है तथा पुत्र सुख को नष्ट करने वाला साबित होता है।

PunjabKesari



नीलम के 5 प्रकार होते हैं, जिन्हें- गोरनों, संगृत, वरनाडी, पारस्वृत एवं रजकेतु के नामों से जाना जाता है। गोरनों का आकार छोटा किन्तु वजन अधिक होता है। इसको धारण करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संगृत अत्यधिक चमकीला होता है। इसके धारण करने से धन की वृद्धि होती है तथा विपरीत योनि (पुरुष का स्त्री से तथा स्त्री का पुरूष से) से प्रेम बढ़ता है। वरनाडी नीलम को सूर्य के सामने रखने से नीले रंग की किरणें निकलती हैं। इसके धारण करने से धनधान्य की वृद्धि होती है।

पारस्वृत नीलम से सुनहरी, रूपहली, व बिलौरी किरणें प्रस्फुटित होती हैं। इसके धारण करने से ख्याति व सम्मान में वृद्धि होती है तथा लाभ के अनेक मार्ग सहज ही खुल जाते हैं। रजकेतु नीलम को बर्तन में रखने से इसकी चमक से बर्तन नीला दिखाई देता है। इसके धारण करने से सन्तान की विशेष उन्नति होती है।

निम्नांकित छह प्रकार के नीलम और भी होते हैं जिनमें अवगुण समाहित होते हैं। इन्हें धारण नहीं करना चाहिए। इन नीलम को अबरक, तराश, चित्रक, मृतग्रह, अश्मग्रह तथा रूक्ष के नामों से जाना जाता है। अबरक नीलम के ऊपरी भाग में बादल के समान चमक होती है। इसके धारण करने से आयु एवं धन की क्षति होती है। तराश नीलम पर टूटेपन का निशान होता है। इसे धारण करने से पशुओं की हानि होती है।

PunjabKesari

चित्रक नीलम का रंग विचित्रता लिए होता है। इसको धारण करने से सम्मान की हानि होती है। मृतग्रह नीलम का रंग मटमैला होता है तथा इसके धारण करने से शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। अश्मग्रह नीलम का आकार पत्थर की तरह होता है। इसके धारण करने से दुर्घटनाओं की आशंकाएं बनी होती हैं। रूक्ष नीलम पर सफेद चीनी की तरह दाग दिखाई देते हैं। इसके धारण करने से अनेक प्रकार की विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है। 

अवगुण वाले नीलम को नहीं लेना चाहिए। नीलम पर पड़े झाइयां, दूधिया रंग के धब्बे, सफेद शीशे जैसी धारियां, रंग का एक जगह पर केन्द्रित हो जाना, रेशम जैसे धब्बे, खरोंच, दरारें अवगुण युक्त माने जाते हैं। ऐसा नीलम अनिष्टकारक होता है। अगर किसी की जन्मकुंडली में शनि के साथ मंगल, राहू और केतु भी जन्म लग्न में हों या इन ग्रहों के नक्षत्रों पर शनि हो तो अवगुण युक्त नीलम भी शुभ फल देने वाला होता है।

नीलम रत्न पर शनि के अतिरिक्त और बुध का विशेष प्रभाव होता है इसलिए इन ग्रहों के रत्नों के साथ नीलम धारण करने से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है। कुछ नीलमों में छ: किरणों वाला सितारा न बनकर एक ही किरण बनती है। ऐसे नीलम लहसुनिया नीलम या कैट्स आई सैफायर कहलाते हैं।

PunjabKesari

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!