Edited By Jyoti,Updated: 12 Jun, 2018 04:19 PM
जीवन अपेक्षित और अनपेक्षित चीजों का मेल है। अगर हम अपेक्षित से डरेंगे तो नई चीजों की खोज कैसे कर पाएंगे? अज्ञात के प्रति भय होना सहज मानवीय स्वभाव है। लेकिन यह भी सच है कि अगर चीजें अज्ञात नहीं हैं तो तरक्की की संभावना भी खत्म हो जाती है।
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जीवन अपेक्षित और अनपेक्षित चीजों का मेल है। अगर हम अपेक्षित से डरेंगे तो नई चीजों की खोज कैसे कर पाएंगे? अज्ञात के प्रति भय होना सहज मानवीय स्वभाव है। लेकिन यह भी सच है कि अगर चीजें अज्ञात नहीं हैं तो तरक्की की संभावना भी खत्म हो जाती है।
जब हम जीवन में रहस्यमयी या विस्मित करने वाली चीजों की तरफ बढ़ना बंद कर देते हैं तो हमारा विकास रुक जाता है। अगर हम तयशुदा जिंदगी ही जीने लगे तब हमारा जीवन यंत्रवत हो जाता है। जैसे अगर आपको पता हो कि किसी मैच में कौन जीतने वाला है तो मैच देखने का सारा मजा ही चला जाएगा। ऐसे ही अगर जीवन में आगे क्या होगा यह पहले ही पता चल जाए तो जीवन का सारा आनंद ही चला जाएगा। बुद्धिमान तो वही है जो अनिश्चितताओं से निपटने का कौशल अपने भीतर पैदा करे।
अगर कोई व्यक्ति जीवन में आने वाले बदलावों के प्रति सहज हो जाए तब वह सफलतापूर्वक उनका सामना भी कर पाएगा। जहां आश्चर्य है, वहीं रचनात्मकता भी है। अगर आप कहेंगे कि ‘मैं सब जानता हूं’ तो आप नई चीजें सीखने के बारे में नहीं सोचेंगे। ‘मैं जानना चाहता हूं’ के नजरिए के साथ ही आप नई संभावनाओं की ओर बढ़ सकते हैं।
उपनिषद में बहुत ही अच्छी बात कही गई है कि ‘जो कहता है कि वह नहीं जानता, वह जानता है और जो कहता है कि वह सब जानता है वह कुछ नहीं जानता।’ लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आप हर नई चीज की तरफ ही भागते रहें। जीवन में निश्चित और अनिश्चित का तालमेल होना चाहिए। इन दोनों के बीच संतुलन ही आपको तरक्की की ओर ले जाता है। अगर हम चकित ही न होते तो नई खोजें कैसे होतीं और मानव जाति का विकास ही नहीं होता।
सफलता के लिए अपनी उत्सुकता की तलाश जरूरी है। तो जीवन में किन चीजों के बारे में हमें खोज करनी चाहिए, यह कैसे समझ आएगा? इसके लिए जरूरी है कि हम अपने
भीतर उतरें। खुद के भीतर उतरने के लिए योग हमारी सहायता कर सकता है।
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