Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 May, 2020 05:47 AM
आज 7 मई वैशाख महीने की पूर्णिमा है, जो गौतम बुद्ध के जन्मोत्सव के रुप में मनाई जाती है। तभी तो इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। इस रोज़ श्री हरि विष्णु ने 9वां अवतार भगवान बुद्ध के रूप में लिया था।
Budh Purnima 2020: आज 7 मई वैशाख महीने की पूर्णिमा है, जो गौतम बुद्ध के जन्मोत्सव के रुप में मनाई जाती है। तभी तो इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। इस रोज़ श्री हरि विष्णु ने 9वां अवतार भगवान बुद्ध के रूप में लिया था। बौद्ध धर्म को फॉलो करने वालों की इस चमत्कारी मंत्र में गहरी आस्था है। वो मानते हैं की इस मंत्र जाप से संकटों का भार अपने आप कम हो जाता है। ये षडाक्षरीय मंत्र है। अवलोकितेश्वरा में भी इस मंत्र का वर्णन आता है।
मंत्र- 'ॐ मणि पदमे हूम्'
गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को कुल चौरासी हजार शिक्षाएं दीं। भगवान बुद्ध की मीठी वाणी, सरल भाषा और सीधे उपदेशों से मंत्रमुग्ध होकर हर भेदभाव को त्याग कर लोग उनकी शरण में आते गए।
कुछ ही समय में सर्वत्र ‘बुध्दं शरणं गच्छामि, धम्मम् शरणं गच्छामि, संघम शरणं गच्छामि’ के जयघोष गूंजने लगे। सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बारे में सब जानते हैं।
सारनाथ में पहली बार प्रवचन देते हुए भगवान बुद्ध ने कहा था कि केवल मांसाहार से ही इंसान अपवित्र नहीं होता बल्कि क्रोध, छल, कपट, ईर्ष्या और निंदा भी उसे अपवित्र कर देती है। मन की शुद्धि और सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए इन सबका त्याग आवश्यक है।
गौतम बुध का धर्म प्रचार लगभग चालीस वर्षों तक चलता रहा। 80 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही उन्हें महानिर्वाण प्राप्त हुआ। उनका जीवन पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
विश्व भर में बुध जयंती के दिन बौद्ध मठ प्रार्थनाओं से गूंज उठते हैं। मठों में बौद्ध भिक्षु भगवान बुध से संबंधित स्थलों पर इकट्ठे होकर उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए उनकी प्रतिमा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। महात्मा बुध को जिस महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था, वहां भी दुनिया भर से आए लोग पूजा करते हैं ।