Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Oct, 2018 01:46 PM
पापांकुशा एकादशी सब पापों को हरने वाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली, शरीर को निरोग बनाने वाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देने वाली है। यदि व्यक्ति इस एकमात्र एकादशी को उपवास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती।
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पापांकुशा एकादशी सब पापों को हरने वाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली, शरीर को निरोग बनाने वाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देने वाली है। यदि व्यक्ति इस एकमात्र एकादशी को उपवास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती। एकादशी के दिन उपवास और रात्रि में जागरण करने वाले मनुष्य गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं।
ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं। सारी इच्छाओं की प्राप्ति के लिए वासुदेव का पूजन करना चाहिए। साधु-संत और मुनि लंबे समय तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करते हैं, वह फल पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण को प्रणाम करने से ही मिल जाता है। जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता।
दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह स्नान, जप और ध्यान आदि करने के बाद यथाशक्ति होम, यज्ञ तथा दान वगैरह करके अपने हर दिन को सफल बनाये। जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करने वाले हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती।
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