Kundli Tv- सावन के आखिरी सोमवार इस विधि से करें भोलेनाथ का रुद्राभिषेक

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Aug, 2018 10:40 AM

by this method on the last monday of savan bholainath s rudrabhishek

शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- ‘रुतम-दुखम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:’ यानी कि भोले सभी दुखों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दुखों के कारण हैं।

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शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- ‘रुतम-दुखम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:’ यानी कि भोले सभी दुखों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दुखों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जल कर भस्म हो जाते हैं। साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रुद्रहृदयोपनिषद् में शिव के बारे में कहा गया है- सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। 
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हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक की जाती है। रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं:

जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
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असाध्य रोगों, बाधा दोष एवं ऐसी बीमारी जो पकड़ में नहीं आ रही हो को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।

भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।

धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
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तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं बाधा शांति होती है।

इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।

पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गाय के दूध से रुद्राभिषेक करें। एेसा करने पर योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।

ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
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सहस्त्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घी की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।

प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।

शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।

सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है एवं उसका मरण होता है।
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शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है। लक्ष्मी प्राप्ति होती है।

पापों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।

गौ दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।

पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
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ध्यान रखें- सामान्यत: अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गाय के दूध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। 
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