रमजान में मस्जिदों से दागे जाते हैं तोप के गोले

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 09:05 AM

cannon shells are lit by mosques in ramzan

दुनिया भर में रमजान की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विविधता में एकता वाले देश भारत में रमजान के कई रंग देखने को मिलते हैं।

दुनिया भर में रमजान की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विविधता में एकता वाले देश भारत में रमजान के कई रंग देखने को मिलते हैं। रोजा, इफ्तार और सहरी पर हर शहरों की अपनी परंपराओं का असर दिखता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जुड़ी रमजान की एक अनोखी परंपरा आज भी कायम है। रायसेन स्थित मस्जिद में पारंपरिक तोप से गोले दागकर लोगों को चांद दिखने की सूचना दी जाती है।


चांद का दीदार करने के बाद शहर के काजी मस्जिदों से बारूदी गोले दागते हैं, जिसकी आवाज सुनकर लोग समझ जाते हैं कि अगले दिन में रोजा रखना है। इतना ही नहीं पूरे रमजान में मस्जिद से गोले दागे जाते हैं, जिसकी आवाज सुनकर लोग सहरी और इफ्तार का वक्त जान पाते हैं। 


खबर के मुताबिक इस बार मस्जिद कमेटी ने रमजान के लिए खास तरह के गोले मंगवाए हैं। इन्हें दागे जाने पर रंगीन धुआं निकलेगा। मस्जिद कमेटी के प्रभारी यासिर अराफात ने बताया कि भोपाल के अलावा सीहोर व रायसेन जिलों की मस्जिदों में ये गोले भेजने का जिम्मा मस्जिद कमेटी के पास है। कमेटी भोपाल में 50, सीहोर में 30 व रायसेन जिले  में 20 मस्जिदों को गोले भेजती है। रमजान पर हर मस्जिद को करीब 60 गोले दिए जाते हैं। माहे रमजान में दागे जाने वाले गोले का खर्च मस्जिद कमेटी उठाती है। रमजान में इसे चलाने के लिए स्थानीय डी.एम. से खासतौर से लाइसैंस लिया जाता है। बताया जाता है कि रायसेन के किले में रखी पुरानी तोप से ही सारे गोले दागे जाते हैं।

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