नवरात्रि के आखिरी दिन बंगाल में क्यों मनाया जाता है सिंदूर खेला का उत्सव?

Edited By Lata,Updated: 03 Oct, 2019 03:27 PM

celebration of sindoor khela

नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान हर जगह के अपने कई रीति-रिवाज व परंपराएं होती हैं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान हर जगह के अपने कई रीति-रिवाज व परंपराएं होती हैं और लोग उसे बड़े अच्छे से निभाते भी हैं। इसके साथ ही नवरात्रि के आखिरी दिन यानि विजयदशमी पर बंगाल में पंडालों में महिलाएं दुर्गा मां को सिंदूर अर्पित करती हैं और साथ ही मिठाई व पान का भोग भी लगाती हैं। बता दें कि मां दुर्गा को भोग व सिंदूर अर्पित करने के बाद वे एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं और ये परंपरा करीब चार सौ साल पुरानी जानी जाती है। इस शुभ दिन और परंपरा को सिंदूर खेला कहा जाता है। 
PunjabKesari, सिंदूर खेला
सिंदूर खेला को सुहागिन महिलाओं का त्योहार माना जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनकर माथे में सिंदूर भर कर पंडाल पहुंच कर दुर्गा मां को उलू ध्‍वनी के साथ विदा करती हैं। लेकिन बता दें कि इसमें विधवा, तलाकशुदा, किन्नर और नगरवधुओं को शामिल नहीं किया जाता था। हालांकि पिछले कुछ सालों में समाजिक बदलाव की ओर कदम उठाते हुए अब सिंदूर खेला में सभी महिलाओं की भागीदारी देखी जाती है।  

परंपरा
ऐसी मान्‍यता है कि मां दुर्गा की मांग भर कर उन्‍हें मायके से ससुराल विदा किया जाता है। कहते हैं कि मां दुर्गा पूरे साल में एक बार अपने मायके आती हैं और पांच दिन मायके में रुकने के बाद दुर्गा पूजा होती है।
PunjabKesari, सिंदूर खेला
सिंदूर का महत्‍व 
सिंदूर को सदियों से महिलाओं के सुहाग की निशानी माना गया है। मां दुर्गा को सिंदूर लगाने का बड़ा महत्‍व है। सिंदूर को मां दुर्गा के शादी शुदा होने का प्रतीक माना जाता है इसलिए यही कारण है कि दशमी वाले दिन सभी बंगाली महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं।  

क्या होता है इस दिन
सिंदूर खेला में पान के पत्ते से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श किया जाता है। फिर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद मां को मिठाई खिलाकर भोग लगाया जाता है। फिर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर लंबे सुहाग की कामना करती हैं। 
PunjabKesari, सिंदूर खेला
सुहाग की सलामती 
शादीशुदा औरतें लाल साड़ी पहनकर माथे में सिंदूर लगाकर पंडालों में पहुंचती हैं और मां को उलू ध्वनी के साथ विदा देती हैं। मान्‍यता है कि जो महिलाएं सिंदूर खेला की प्रथा निभाती हैं उनका सुहाग और बच्‍चे सदा सलामत रहते हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में, विजयदशामी से पहले सिंधुर खेला मनाया जाता है। दुबराजपुर में, सिंदूर खेला महासप्तमी के दिन ही मनाया जाता है।

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!