Chaitra Amavasya 2020: शुभ मुहूर्त में भारी शनि और धन की कमी करें दूर

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Mar, 2020 07:04 AM

chaitra amavasya 2020

ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बारह अमावस्याएं पूरे वर्ष भर में पड़ती हैं, वह जिस दिन पड़ती है उस दिन को भी अपना पुण्य प्रदान करती है, जैसे सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती कहा जाता है।

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Chaitra Amavasya 2020: ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बारह अमावस्याएं पूरे वर्ष भर में पड़ती हैं, वह जिस दिन पड़ती है उस दिन को भी अपना पुण्य प्रदान करती है, जैसे सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती कहा जाता है। अगर अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ जाए तो उसे भौमवती कहते हैं, यह अमावस्या ऋणहर्ता है। बुधवार को पडऩे वाली बुधमावस्या मनुष्य को विपुल धन प्रदान करती है क्योंकि बुध के अधिदेवता नारायण हैं और नारायण की पत्नी लक्ष्मी अपने पति की पूजा से प्रसन्न होकर जातक को धन रूप में अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। गुरुवार को पडऩे वाली गुरुवासरी अमावस्या 108 पीपल पूजन पिंड, श्राद्ध, नारायण बलि आदि करने से स्वयं नारायण मोक्ष को प्रदान करते हैं। शुक्रवार को पडऩे वाली अमावस्या शरीर में शक्ति की वृद्धि करती है तथा संतान एवं वंश वृद्धि का फल प्रदान करती है। शनिश्चरी अमावस्या ज्योतिष शास्त्र के आधार पर शनि शमन का फल प्रदान करती है। यह वर्ष में एक या दो बार पड़ती है। शनि पीड़ित जातकों को इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

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चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त- सुबह 6:20 से लेकर 25 मार्च की सुबह 4:19 तक सवार्थ सिद्धी योग रहेगा। दोपहर 12:03 से लेकर 12:52 तक अभिजित मुहूर्त रहेगा।

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हिंदू पंचांग के अनुसार नए साल का शुभारंभ चैत्र मास से होता है। सनातन परम्पराओं के आधार पर दर्श और चैत्र अमावस्या के शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ करना चाहिए। इससे लाइफ में चल रही सभी परेशानियां खत्म होती हैं। आज 23 मार्च, सोमवार को दर्श अमावस्या है और कल 24 मार्च को चैत्र अमावस्या पड़ रही है। यूं तो अमावस्या सभी प्रकार का फल प्रदान करती है पर ज्योतिष शास्त्र में सोमवती, भौमवती, शनिश्चरी एवं मौनी अमावस्या को अधिक महत्व दिया गया है। 

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अमावस्या के दिन पीपल पूजन व 108 बार परिक्रमा करने से ऋण उतर जाता है, धन की कमी दूर होती है एवं शरीर स्वस्थ रहता है। 

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भौमवती और शनिश्चरी अमावस्या तिथि पर पीपल में शनि का साक्षात बल रहता है, अत: प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठ कर या सूर्यास्त के बाद पीपल पूजन व 108 परिक्रमा एवं शनि से संबंधी वस्तुओं का दान पीपल के नीचे करना चाहिए, इससे भारी शनि और पितृदोष की भी निवृत्ति होती है।

घर में खुशहाली बनाए रखने के लिए पूर्वजों के नाम पर अपनी शक्ति के अनुसार दान करें और गरीबों को भोजन करवाएं। 

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