Edited By Jyoti,Updated: 16 Apr, 2021 04:16 PM
सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते ही होंगे कि सनातन धर्म की प्रमुख देवी दुर्गा है। जिनकी खास तौर पर पूजा साल में पड़ने वाले नवरात्रों के दौरान की जाती है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते ही होंगे कि सनातन धर्म की प्रमुख देवी दुर्गा है। जिनकी खास तौर पर पूजा साल में पड़ने वाले नवरात्रों के दौरान की जाती है। पुराणों में बताया गया है कि इनके नौ विभिन्न रूप हैं, जिनके अलग अलग वाहन भी हैं। परंतु माता दुर्गा के मुख्य वाहन की बात करें तो इनका मुख्य वाहन एक ही है, जो सिंह यानि शेर। इतना तो बहुते से लोग जानते होंगे मगर माता के वाहन शेर से जुड़ी कोई जानकारी रखते होंगे। दरअसल शास्त्रों में इनसे जुड़ी दो खास बातें बताई हैं। तो चलिए जानते हैं क्या वो खास बातें-
सबसे पहले आपको बता दें कि कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा सिंह पर सवार होती हैं तो माता पार्वती शेर (बाघ) पर। पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं। शास्त्रों में इन्हें सिंह पर सवार हुए भी दिखाया गया है। इसके अलावा पुराणों में कात्यायनी देवी को भी सिंह पर सवार दिखाया गया है। देवी कुष्मांडा शेर (बाघ) पर सवार है। माता चंद्रघंटा भी शेर (बाघ) पर सवार हैं। जिनकी प्रतिपद और जिनकी अष्टमी को पूजा होती है वे शैलपुत्री और महागौरी वृषभ पर सवारी करती है। माता कालरात्रि की सवारी गधा है तो सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान है।
पौराणिक कथा अनुसार शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की। कई वर्षों की घोर तपस्या के कारण देवी सांवली हो गई। भगवान शिव से विवााह के बाद एक दिन जब शिव जी पार्वती साथ बैठे थे, तब भगवान शिव ने पार्वती जी को मजाक में काली कह दिया। देवी पार्वती को शिव शंकर की यह बात चुभ गई। उनसे नाराज़ होकर वह कैलाश छोड़कर वापस तपस्या में लीन हो गई। जिस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। लेकिन तपस्या में लीन देवी को देखकर वह चुपचाप बैठ गया।
शेर सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठे और वह उन्हें अपना आहार बना ले। इस बीच कई साल बीत गए लेकिन शेर अपनी जगह डटा रहा। इस बीच देवी पार्वती की तपस्या पूरी होने पर भगवान शिव जी प्रकट हुए और पार्वती गौरवर्ण यानी गोरी होने का वरदान दिया। इसके बाद देवी पार्वती ने गंगा स्नान किया और उनके शरीर से एक सांवली देवी प्रकट हुई जो कौशिकी कहलाई और गौरवर्ण हो जाने के कारण देवी पार्वती गौरी कहलाने लगी। उस शेर को देवी पार्वती ने अपना वाहन बना लिया जो उन्हें खाने के लिए बैठा था। इसका कारण यह था कि शेर ने देवी को खाने की प्रतिक्षा में उन पर नजर टिकाए रखकर वर्षो तक उनका ध्यान किया था। देवी ने इसे शेर की तपस्या मान लिया और अपनी सेवा में ले लिया। इसलिए देवी पार्वती के शेर (बाघ) और सिंह दोनों ही वाहन माने जाते हैं।