Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2022 08:28 AM
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि से ही चैत्र नवरात्रि का प्रांरभ हो जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री की पूजा पूरी श्रद्धा भाव से करने पर भक्त जनों की खाली झोली मां शीघ्र
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Navratri 2021 1st Day: चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि से ही चैत्र नवरात्रि का प्रांरभ हो जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री की पूजा पूरी श्रद्धा भाव से करने पर भक्त जनों की खाली झोली मां शीघ्र ही भर देती हैं। हिमालय राज की पुत्री होने के कारण देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा। देवी का यह अलोकिक रूप का ध्यान करते समय साधक चित को मूलाधार चक्र में केंद्रित रखते हैं। नवरात्रि की शरुआत की यह देवी अत्यन्त सौभाग्य देने वाली है। देवी का वाहन वृष है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल पुष्प धारण किए होता है। देवी शैलपुत्री के खास पूजन मंगल ग्रह का कुप्रभाव दूर हो जाता है। ग्रहों की शांति के साथ-साथ जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं-
How do you worship Maa Shailputri: सुबह कलश स्थापना के बाद देवी के चित्र को लाल वस्त्र के आसान पर सजा कर, पंचामृत से स्नान कराएं। सूखे मेवे का भोग लगाएं। धूप दीप जलाए। देवी के मन्त्रों की माला करते हुए व्रत की शरुआत करें।
Maa shailputri mantra ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम:॥
वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम 7 वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्
आज देवी के छोटे रूपों का पूजन अलसी के बने लड्डुओं से करें।
छोटी कन्याओं को लाल रुमाल दान करने से मंगल ग्रह के दुष्परिणाम कम होते हैं और धन आने के द्वार भी खुल जाते हैं।
लाल रंग का श्रृंगार दान करने से माता रानी हर प्रकार के दुर्भाग्य को दूर करती है।
नीलम
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