चैत्र नवरात्रि- देवी दुर्गा के ये 6 नाम पार लगाएंगे आपकी डूबती नैय्या

Edited By Jyoti,Updated: 11 Apr, 2019 09:32 AM

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चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के कई तरह के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वैसे तो मां के इन मंत्रों का जाप कभी भी किया जा सकता है लेकिन ज्योतिष की मानें तो नवरात्रि के दौरान इनका उच्चारण अति फलदायी होता है।

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चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के कई तरह के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वैसे तो मां के इन मंत्रों का जाप कभी भी किया जा सकता है लेकिन ज्योतिष की मानें तो नवरात्रि के दौरान इनका उच्चारण अति फलदायी होता है। इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है कि इस अवधि में माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जो भी उपाय किए जाते हैं वो अवश्य सफल होते हैं। इसका प्रमाण दुर्गा सप्तशती के 11 वें अध्याय में मिलता है। जिसमें देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर मां भवानी ने यह वरदान दिया कि जब भी कोई संकट में मुझे पुकारेगा मैं उनकी रक्षा के लिए तुरंत प्रकट होंगी।
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कहा जाता है कि देवी ने देवताओं को संकटों से निकलाने हेतु 6 अवतार लिए थे। मान्यता है कि अगर देवी के इन अवतारों का 108 बार उच्चारण कर लिया जाए तो मां अपने भक्तो के सभी संकट हर लेती हैं। तो चलिए जानतें हैं देवी के उन अवतारों के नामों के बारे में जिनका अगर ब्रह्महूर्त में जाप किया जाए तो पल में सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। नवरात्रि में किसी भी दिन ब्राह्ममुहूर्त में मां दुर्गा के इन अवतारों के नामों का करें 108 बार उच्चारण-

मां रक्तदंतिका- कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने देवताओं की रक्षा के लिए नंदगोप की पत्नी यशोदा के पेट से जन्म लिया, और विन्ध्याचल पर्वत पर निवास करने लगी, और विप्रचित्ति दानव के नाश हेतु भयंकर रूप में अवतार लिया था। कहते हैं इस अवतार में माता ने अपने दांतों से दैत्यों को चबाया था। जिस कारण माता के सभी दंत अनार के दानों के रंग की तरह लाल दिखाई देने लगे। जिस कारण मां दुर्गा को भक्त रक्तदंतिका के नाम से पुकारना जाना लगा।
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मां शताक्षी- यह अवतार ने मां भवानी ने तब लिया जब धरती पर 100 वर्षो तक वर्षा नही हुई, तब ऋषि-मुनियों मे देवी की स्तुति से उनकी आवाहन किया जिसके बाद मां प्रकट हुई। कहा जाता है कि इस अवतार में माता ने सौ नेत्रों के माध्यम से अपने सभी भक्तों को देखा और उनके इस संकट को दूर किया। इसके बाद ही इन्हें 'शताक्षी' कहा जाने लगा अर्थात सौ आंखों से देखने वाली।

मां शाकम्बरी देवी- इस अवतार की कहानी भी कुछ इस तरह ही है कि जब धरती पर बहुत वर्षों तक बारिश न हुई तो पर धरती पर जीवन बचाने के लिए मां शाकम्बरी देवी के रूप में अवतरित हुई और जब तक वर्षा नही हो हुई अपनी अनेकों शाखाओं से भरण पोषण करने लगी। इस कारण इन्हें शाकम्बरी कहा जाने लगा।

दुर्गा- शास्त्रों में किए गए उल्लेख के अनुसार मां दुर्गा ने अपने इस अवतार में दुर्गम दैत्यों का संहार कर भक्तों की रक्षा की थी, तभी से माता का नाम दुर्गा पड़ा ।
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मां भीमा देवी- मान्यता है कि आदि शक्ति ने 'भीमा देवी' का अवतार लेकर उन राक्षसों का वध किया जो हिमालय में रहने वाले ऋषि-मुनियों को परेशान करते थे और उनकी पूजा में विघ्न डालते थे।

मां भ्रामरी माता- कहते हैं जब तीनों लोकों में अरुण नामक दैत्य का अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ने लगा, और जगत में त्राहिमाम होने लगा तो ऋषि-मुनियों और देवताओं के मिलकर देवी का आवाहन या किया तो उनकी रक्षा करने के लिए मां भवानी ने छः पैरों वाले असंख्य भ्रमरों का रूप धारण करके अरुण दैत्य का नाश किया। जिसके बाद से मां आदिशक्ति को दुर्गा 'भ्रामरी माता' के नाम से पूजा जाने लगा।
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तो अगर आप भी चाहते हैं कि इस नवरात्रि में आपकी सभी टैंशन्स दूर हो जाए तो अभी भी समय है आज से लेकर राम नवमी तक मां के इन नामों का 108 बार जाप करना शुरू कर दें। 

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