Edited By Jyoti,Updated: 14 Apr, 2021 03:10 PM
सनातन धर्म से जुड़े लगभग हर त्यौहार व पर्व के बारे में हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताते आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब हम आपको जानकारी देने वाले हैं नवरात्रों के बारे में।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म से जुड़े लगभग हर त्यौहार व पर्व के बारे में हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताते आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब हम आपको जानकारी देने वाले हैं नवरात्रों के बारे में। जैसे की लगभग लोग जानते हैं 13 अप्रैल यानि बीते दिन से इस वर्ष के चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो चुकेे हैं। जिसके साथ ही माता के उपासक श्रद्धापूर्वक से माता की आराधना में जुट चुके हैं। बता दें साल में कुल 4 नवरात्रि पढ़ते हैं, जिसमें अधिकतर महत्व आश्विन मास में आने वाले शारदीय तथा आषाढ़ मास के चैत्र नवरात्रों का अधिक महत्व माना जाता है। परंतु धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि चारों नवरात्रि का अपना विभिन्न महत्व तथा अपनी विशेषता है। तो आइए जानते हैं नवरात्रों से संबंधित कुछ खास बातें-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष में कुल चार बार आती है नवरात्रि- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह। चैत्र माह की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। बाकी बची दो आषाढ़ और पौष-माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
बताया जाता है चैत्र एवं अश्विन माह की नवरात्रि सर्व साधारण व्यक्तियों के लिए मान्य होती है, जिस दौरान जातक द्वारा सात्विक या दक्षिणामार्गी साधना करने का विधान होता है।
माघ और आषाढ़ मास में आने वाले गुप्त नवरात्रों के दौरान तंत्र अर्थात वाममार्गी साधना करने का विधाना होता है। ज्योतिषी बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि साधना और तंत्र साधना के लिए अधिक महत्वपूर्ण होती है, यही कारण है कि इस नवरात्रि में देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा और साधना आदि की जाती है।
कहा जाता है कि चैत्र नवरात्रि के तुलना में गुप्त नवरात्रों में मां की आराधना अधिक कठिन होती हैं। ये पूजा खासतौर पर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है।
देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इस दौरान साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।