Edited By Jyoti,Updated: 20 Apr, 2021 12:03 PM
वैसे तो नवरात्र के 9 दिन ही बहुत महत्वपूर्ण व पवित्र माने जाते हैं और नवरात्र का पर्व हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भी बड़ी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन
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वैसे तो नवरात्र के 9 दिन ही बहुत महत्वपूर्ण व पवित्र माने जाते हैं और नवरात्र का पर्व हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भी बड़ी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन नवरात्रों में घटस्थापना तिथि की तरह ही अष्टमी और नवमी तिथि ये दो सर्वाधिक विशेष दिन होते हैं। इसलिए मां के भक्त इन दोनों ही दिन, बड़े हर्षोल्लास के साथ देवी दुर्गा की उपासना करते हैं। इस दिन भक्त मां दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए कन्या पूजन भी करते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि चैत्र नवरात्रि को ही सृष्टि में शक्ति का संचार हुआ था। सृष्टि इससे पहले शक्तिविहीन थी। नवरात्रि में उसमें अनेकानेक शक्ति का संचार हुआ। इसलिए चैत्र नवरात्रि प्रमुख शक्ति पर्व है।
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। महा अष्टमी पर महागौरी की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 20 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन संधी पूजा होती है और अन्नपूर्णा अष्टमी भी मनाई जाती है।
सोमवार, 19 अप्रैल को सप्तमी तिथि मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा। 21 अप्रैल को नवमी है। नवमी भी मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक है। इसलिए अष्टमी व नवमी दोनों ही दिन व्रत पारण और कन्या पूजन के लिए पर्याप्त समय मिल रहे हैं। रामनवमी का पूजन दोपहर 12 बजे होता है। इसलिए इससे पहले देवी नवमी का पूजन कर लें। पहले शक्ति अराधना होगी और फिर रामनवमी।
20 अप्रैल को अष्टमी तिथि पर पूजा के शुभ मुहूर्त इस तरह से बन रहे हैं-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:11 से 4:55 तक रहेगा ।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:42 से दोपहर 12:33 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:17 से 03:08 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:22 से 06:46 तक।
अमृत काल- 21 अप्रैल को तड़के 01:17 मिनट से 02:58 तक है।
21 अप्रैल यानी रामनवमी के दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त इस तरह से हैं-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:10 अप्रैल से 04:54 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:17 से 03:09 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त- सांय 06:22 से 06:46 बजे तक।
जबकि रवि योग- 07:59 सुबह से 05:39 बजे तक।
निशिता मुहूर्त- रात 11:45 से 12:29 सुबह अप्रैल 22 तक।
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें देवी मां के स्वरुप में छोटी कन्याओं को मिष्ठान और व्यंजन का भोग लगाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। जो लोग अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं, वे 20 अप्रैल को कन्या पूजन करें और जो लोग नवमी वाले दिन कन्या पूजन करते हैं, वे सभी लोग 21 अप्रैल को कन्या पूजन करें।
गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com